Saturday 27 April 2013

विद्या तत्त्व बगलामुखी साधना



विद्या तत्त्व बगलामुखी साधना 



कई विद्यार्थी पड़ाई तो बहुत करते है।पर याद करते ही भूल जाते है।या किसी का पड़ाई में मन ही नहीं लगता है।या पड़ने बैठेते ही मन का उच्चाटन हो जाता है और आप उठ जाते है।प्रस्तुत साधना इसी विषय पर है।इस साधना के समपन्न करने पर आपकी स्मरण शक्ति का विकास होता है .माँ बगलामुखी की कृपा से साधक की बुद्धि में विद्या तत्त्व जागृत हो जाता है।और वो निरंतर ज्ञान अर्जन करता जाता है।इस साधना से जहा एक तरफ भोतिक ज्ञान में सफलता मिलती है वही दूसरी और साधनात्मक ज्ञान में भी वृद्धि होती है।

विधि: साधना किसी भी गुरुवार या रविवार रात्रि से आरम्भ करे।या किसी भी अष्टमी से करे।मुख उत्तर या पूर्व हो।सामने बजोट पर पिला कपडा बिछा दे और उस पर बगलामुखी यन्त्र स्थापित करे।घी का दीपक जलाये,सामान्य पूजन करे।भोग में कोई भी पिली मिठाई या फल अर्पण करे,जो बाद में साधक को स्वयं ग्रहण करना है।यन्त्र के सामने एक पाच मुखी रुद्राक्ष रखे और उसका भी पूजन करे।फिर मंत्र के 51000 जाप करे।ये जाप आपको कितने दिन में पूरा करना है ये निर्णय आप स्वयं ले।परन्तु 21 दिन से अधिक समय न ले।जप आपके समस्त जप पूर्ण हो जाये तो रुद्राक्ष को पीले धागे में डालकर गले में धारण कर ले।अब जब भी आप पड़ाई करने बैठे रुद्राक्ष को दाहिने हाथ से स्पर्श कर 21 बार मंत्र का पाठ कर लिया करे।आप स्वयं इस साधना का लाभ अपने जीवन में अनुभव करने लगेंगे।माँ सबका कल्याण करे।

मंत्र: ॐ ह्लीं विद्या तत्त्व व्यापिनी बगलामुखी स्वाहा .OM HLEEM VIDHYA TATVA VYAPINI BAGLAMUKHI SWAHA

जय माँ।

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