Saturday, 27 April 2013



सिद्ध साधना 






संसार में कई योगी हुए है जो आज भी संसार के कल्याण के लिए साधनारत है।हिमालय की कंदराओ में आज भी ऐसे योगी जन सतयुग से साधना में लीन है।जो उच्च कोटि के साधक तथा योगी है। ये अज भी अपने सुक्ष्म शारीर से जगत में विचरण करते है तथा संसार के कल्याण के लिये प्रकृति का सहयोग करते है। हिमालय में ही एक परंपरा चलती है जिसे सिद्ध परंपरा केहते है। इसी पारम्पर के साधक कई सहस्त्र वर्षो से सशरीर जीवित है,तथा साधको एवं योगियों की सहायता करते आ रहे है।यही नहीं ये सिद्ध साधक साधनाओ में भी सफलता दिलवाते है।क्युकी ये स्वयं सिद्ध हो चुके है।अतः आप हिमालय की सिद्ध परंपरा के सिद्ध योगियों की ये साधना अवश्य करे ताकि वे आपका मार्गदर्शन करे।आपके साधनात्मक जीवन को ये आगे ले जाने में सहायक होंगे।क्युकी ज्योत से बुझे हुए दीपक को स्पर्श करा दिया जाये तो बुझा हुआ दीपक भी जल उठता है।फिर सिद्धो के साथ से क्या आप सिद्ध नहीं हो पाएंगे ? अवश्य हो पाएंगे।आप भले ही इन्हें न देख पाए पर अपने जीवन में इनकी उपस्थिति अवश्य अनुभव करेंगे तथा साधना में आ रही कई बधाये स्वतः इनकी कृपा से समाप्त हो जाएगी।ये सिद्ध आपको सदा उर्जावान बनाकर रखेंगे जिससे की साधना में आलस्य आपको छु नहीं पायेगा।वास्तव में ये साधन अद्भुत है।जो आपको साधन मार्ग में भटकने से बचाएगी,तथा समय समय पर सिद्ध योगी आपकी अप्रत्यक्ष रूप से सहायता करेंगे।

विधि:
ये साधना किसी भी गुरुवार रात्रि 10 के बाद से आरम्भ करे।आप जिस राज्य में रहते है जिस शहर में रहते है वह से हिमालय किस दिशा में पड़ता है ये पता कर ले।बस आपको उसी और मुख करके बैठना है।आसन वस्त्र लाल होंगे।अपने सामने एक बजोट पर कुमकुम मिश्रित चावल की ढेरी बनाये और उस पर एक तील के तेल का दीपक जलाकर स्थापित करे।अब गुरु पूजन करे,गणेश पूजन करे,गुरु मंत्र की एक माला करे,तथा ॐ नमः शिवाय की एक माला करे।अब हिमालय की सिद्ध परंपरा के सिद्ध योगियों का ध्यान करे तथा उनसे प्रार्थना करे वे आपके साधनात्मक जीवन को सरल तथा सुन्दर बनाये।आपकी हर साधना में सहायता करे इसलिये आप ये साधना कर रहे है।फीर दीपक को सिद्ध योगियों का स्वरुप मानकर उसका सामान्य पूजन करीक फल का भोग लगाये।ये फल साधना के बाद आपको ही खाना है।अब मूल मंत्र की 21 माला करे ये क्रम 3 दिनों तक करे।3 दिन तक दीपक अखंड रूप से जलता रहे इसका विशेष रूप से ध्यान रखे इसलिये दीपक थोडा बड़ा लगाये।ब्रह्मचर्य भूमि शयन अनिवार्य है।साधना में लहसुन प्याज़ का प्रयोग वर्जित है।साधना गुप्त रूप से करे। 3 दिन बाद दीपक और चावल किसी शिव मंदिर में रख दे कुछ दक्षिणा के साथ। रोज़ 21 बार इस मंत्र का जाप किया करे।जब कोई सहायता चाहिए हो स्नान कर एक ज्योत जला 21 माला किया करे और योगियों से सहायता की प्रार्थना किया करे अवश्य लाभ होगा। इश्वर आप सबका कल्याण करे।

मंत्र : ॐ सं सिद्धाय नमः। om sam siddaay namah.

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