बीजोक्त सरस्वती स्थापन साधना-
हम सदा साधना करते रहते है।कोई महाविद्या की तो कोई भैरव की।परन्तु बहुत कम लोग है जो माँ सरस्वती की साधना की और ध्यान देते है।जबकि अगर माँ सरस्वती की कृपा हमें मिल जाये तो संसार का कोई ज्ञान नहीं है जो हमें प्राप्त न हो सके।चाहे वो तंत्र का ज्ञान हो या कोई और ज्ञान।परन्तु कुछ लोगो के सिवा सभी साधक सरस्वती साधना को बहुत हल्के में लेते है।और यदि करते भी है तो कितना ? सिर्फ एक या दो माला पर आकर रुक जाते है।और समझ लेते है की बस हो गयी माँ प्रसन्न।परन्तु ऐसा नहीं है हमें सरस्वती साधना को गंभीरता से लेना होगा क्युकी संसार का हर शब्द,हर मंत्र,हर ज्ञान सरस्वती के बिना शुन्य है।प्रस्तुत साधना माँ सरस्वती की साधना है।जिसे बिजोक्त सरस्वती स्थापन साधना के नाम से जाना जाता है।इस साधना से माँ सरस्वती की कृपा तो प्राप्त होती ही है।साथ ही माँ के बीज मंत्र " ऐं " में जो शक्ति विद्यमान है वो साधक की बुद्धि में स्थापित हो जाती है।अब सोचिये जब बीज मंत्र की शक्ति आपकी बुद्धि में समाहित हो जाये तो क्या बाकि रह जाता है।साधक ज्ञान मार्ग में निरंतर प्रगति करता ही है।अधिक लिखने से कोई लाभ नहीं है।अप स्वयं साधना करे और लाभ प्राप्त करे।
विधि: साधना किसी भी सोमवार से आरम्भ करे।समय रात्रि 9 के बाद या ब्रह्म मुहर्त में भी की जा सकती है।आसन वस्त्र सफ़ेद हो तथा आपका मुख उत्तर या पूर्व की और हो।अपने सामने बजोट पर एक सफ़ेद वस्त्र बिछाये और माँ सरस्वती का कोई भी चित्र रखे।चित्र के ठीक सामने कुमकुम से कपडे के ऊपर ही मैथुन चक्र का निर्माण करे,पर ये ज्यादा बड़ा न हो।अब मैथुन चक्र पर केसर मिश्रित चावल की ढेरी बनाये और और उस ढेरी पर यन्त्र स्थापित करे। यन्त्र का चित्र
साथ में ही दे दिया है।इस यन्त्र का निर्माण अष्टगंध की स्याही से अनार या चाँदी की कलम से करे।भोज पत्र या सादे कागज़ पर बना ले।अब यन्त्र के सामने 5 चावल की ढेरी बनाये एक ही लाइन में।और उन पर एक एक सुपारी स्थापित करे।हर सुपारी पर केसर या कुमकुम की स्याही से बीज मंत्र ऐं (aim)का अंकन करे।अब गुरु पूजन तथा गणेश पूजन करे।फिर माँ सरस्वती का सामान्य पूजन करे और यन्त्र का भी करे।घी का दीपक जलाये।भोग में खीर या पञ्च मेवा अर्पण करे।जो की साधना के बाद स्वयं खाना है।अब निम्न मन्त्र पड़ते हुए सुपारी पर कुमकुम अर्पण करे।
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