Monday 26 August 2013

 **उग्र भैरव प्रयोग ( शत्रु बाधा निवारण हेतु )**

जीवन में कई बार शत्रु बार बार कष्ट पहुचाते है.लाख प्रयत्न के बाद भी जब शत्रु आपको शांति से जीने न दे,तब करे उग्र भैरव की साधना।उग्र भैरव सुनकर भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है.क्युकी भैरव का उग्र स्वरुप तो साधक के शत्रु के लिये है.बस श्रधा और विश्वास के साथ इस प्रयोग को कीजिये,
आपको सफलता अवश्य मिलेगी। इस साधना के वैसे तो कई लाभ है.किन्तु कुछ लाभ यहाँ पर लिख रहा हु.
न्यायालय में विजय प्राप्ति हेतु आप इस प्रयोग को कर सकते है.शत्रु का ध्यान आप पर से सदा के लिये हट जाये इस हेतु आप इस प्रयोग को कर सकते है.शत्रु के सारे षड़यंत्र विफल करने हेतु इस दिव्य प्रयोग को किया जा सकता है.इस प्रयोग में आप शत्रु के लिये जैसा संकल्प लेते है वैसा ही होता है.परन्तु किसी का अहित न करे.क्युकी हमारा मूल उद्देश्य है शत्रु को परस्त कर उससे मुक्ति पाना न की,उसका अहित करना।अतः अपने विवेक का प्रयोग कर साधना करे.

ये प्रयोग मात्र एक दिवसीय है जो की किसी भी अमावस्या की रात्रि ११ बजे के बाद किया जा सकता है.आपका मुख दक्षिण की और होगा तथा आपके आसन और वस्त्र लाल होंगे।अपने सामने बाजोट पर एक लाल वस्त्र बिछाये उस पर काले उड़द की ढेरी बनाये।अब नारियल का सुखा गोला लीजिये।इस गोले को सिंदूर में रंग लीजिये सिंदूर तील के तेल में घोलना है.अब गोले को उड़द की ढेरी पर स्थापित कर दीजिये।अब उड़द के आटे में पानी मिलाकर एक पुतले का निर्माण कीजिये।इसके मस्तक तथा पेट पर सिंदूर के द्वारा शत्रु का नाम लिखिए।इसे भी गोले के पास उड़द की ढेरी पर स्थापित कर दीजिये।अब गोले को उग्र भैरव मानकर,सिंदूर,राई,काले तील ,तथा उड़द अर्पण कर उनका पूजन करे.भोग में उड़द के ५ बड़े बनाकर अर्पण करे.मिट्टी के दीपक में सरसों के तेल का दीपक प्रज्वलित करे.धुप आदि न जलाये।इसके बाद संकल्प ले की किस शत्रु से मुक्ति हेतु आप ये साधना कर रहे है.

अब मुंगे की माला से मूल मंत्र की २१ माला करे,हर माला के बाद थोड़े से उड़द के दाने,आपको पुतले पर मारना है.और जाप के वक़्त दृष्टि भैरव पर ही रखना है. जब आपका ये प्रयोग संपन्न हो जाये तो सभी सामग्री को लाल वस्त्र में ही बांध दे.माला भी बांध देना है.स्मरण रहे कोई भी वस्तु जो आपने साधना में रखी थी घर में नहीं रखना है.सभी को बांध कर रात्रि में ही किसी निर्जन स्थान में रख कर आ जाये।रखते वक़्त पुनः भैरव से प्रार्थना करे.और कहे की मुझे तथा मेरे परिवार को इस शत्रु से मुक्ति मिले।और एक निम्बू काटकर सामग्री की पोटली पर निचोड़ दे और निम्बू भी वही रख दे.और बिना पीछे देखे घर पर आ जाये।स्नान करे तथा इसके बाद आप विश्राम कर सकते है. निसंदेह ये एक दिवसीय प्रयोग आपको सदा के लिये शत्रु से मुक्त कर देगा। फिर विलम्ब कैसा आगे बड़े और प्रयोग करे.

मंत्र : !! ॐ हूं हूं भ्रं भ्रं उग्र भैरवाय मम अमुक शत्रु नाशय नाशय हूं हूं भ्रं भ्रं फट !!

OM HOOM HOOM BHRAM BHRAM UGRA BHAIRVAAY MAM AMUK SHATRU NAASHAY NAASHYA HOOM HOOM BHRAM BHRAM PHAT
मंत्र में जहा अमुक है वह शत्रु का नाम ले.
जय माँ