महागौरी सौन्दर्य साधना ( देहिक सौन्दर्य वर्धक)-
वर्तमान समय बड़ा ही भाग दौड़ का है.क्युकी समय कम है और काम ज्यादा है,तो भागना तो होगा ही न.लेकिन इस भाग दौड़ में हमने प्रकृति में हर जगह प्रदुषण कर दिया है ,वायु दूषित,पानी दूषित,और न जाने क्या क्या कर चुके है हम प्रदुषण फ़ैलाने के लिए.पर हम भूल गए है की इसका प्रभाव हमारे ही जीवन पर पड़ रहा है.हमारा मुख तेजहीन हो चूका है,नए नए चर्म रोग हमें घेर रहे है.क्युकी ओज़ोन परत कमज़ोर हो रही है और हमें झुलसा रही है.इसलिये जितना हो सके प्रदुषण को रोके वृक्ष लगाकर प्रकृति का सहयोग करे.पर अभी जो हमारे शरीर का सौन्दर्य समाप्त हो रहा है इसका क्या करे ? माना की देह नश्वर है परन्तु इसका मतलब ये तो नहीं है न की हम उसका ध्यान ही न रखे.ये नश्वर है तो साथ ही इश्वर का दिया सबसे बड़ा उपहार भी है.जिसके माध्यम से हम मुक्ति को पा सकते है.तो आये करे महा गौरी सौन्दर्य साधना और अपनी देह को आकर्षक तथा सुन्दर बनाये
साधना सामग्री:
ताम्र पात्र,हल्दी,एक सुपारी,तुलसी या चन्दन माला.
विधि-
साधना किसी भी रविवार रात्रि १० के बाद करे आपका मुख पूर्व या उत्तर की और हो.आपके वस्त्र तथा आसन सफ़ेद हो.सामने एक सफ़ेद कपडा बाजोट पर बिछाये.अब उस पर माँ दुर्गा का चित्र स्थापित करे.और माँ के ठीक सामने ताम्र पात्र चावल की ढ़ेरी पर रखे और उसे पूरा हल्दी से भर दे.अब पात्र पर एक प्लेट में चवल की ढ़ेरी बनाये और उसपर एक सुपारी स्थापित कर दे.अब पात्र का पूजन करे फिर सुपारी को माँ महा गौरी मानकर पूजन करे.माँ दुर्गा के चित्र का सामान्य पूजन करे.भोग पञ्च मेवे का लगाये.घी का दीपक हो.अब संकल्प ले की में ये साधना अपने देहिक सौन्दर्य को बड़ाने के लिए कर रहा हु.और मंत्र की २१ माला करे.जाप के बाद फिर पात्र का पूजन करे और सुपारी का भी.यह साधना लगातार ७ दिन करे.७ दिन बाद पात्र के अन्दर के हल्दी निकाल ले और रोज़ इसका सेवन एक चुटकी करे.सेवन के पहले भी मंत्र को २१ बार पड़ ले.बाकि सामग्री जल में विसर्जित कर दे.पात्र रहने दे ये अन्य साधना में प्रयोग किया जा सकता है और माला गले में धारण कर ले.प्रसाद रोज़ स्वयं ही खाए.माँ सबका कल्याण करे.जय माँ.
मंत्र:
॥ॐ क्लीं महागौरी महासुंदरी मम अखंड सौन्दर्य देहि देहि नमः॥
Kya agar mala nahi pahnna chahe to soundraya nahi dikhiega ?
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