Tuesday 11 June 2013

अचूक सरस्वती प्रयोग


वर्तमान समय में हमारा खान पान बड़ा ही अस्त व्यस्त हो गया है।और उसका प्रभाव हमारी स्मरण शक्ति पर भी पड़ा है।खासकर युवा वर्ग की ये समस्या बनी ही रहती है की वे कितना ही पड़ ले पर भूल जाते है।या कुछ बच्चे कितना भी समझा लो पड़ने में मन नहीं लगाते है।इसका सीधा सा अर्थ है की कही न कही ज्ञान तत्त्व की कमी है।और ज्ञान तत्त्व को बढाना हो तो माँ सरस्वती का स्मरण आता ही है।प्रस्तुत प्रयोग उन लोगो के लिये विशेष फलदायी है,जो प्रतियोगी परीक्षा में सफलता प्राप्ति के लिये जुटे हुए है।इससे उनकी स्मरण शक्ति में वृद्धि होगी।साथ ही यदि कोई बच्चा पड़ता नहीं है,तो उनके परिवार के कोई भी सदस्य उसके बालक के लिये ये प्रयोग कर सकते है,उसके नाम से संकल्प लेकर।

विधि: प्रयोग एक दिवसीय है अतः किसी भी शुभ दिन किया जा सकता है।समय ब्रह्म मुह्रत का हो।आपका मुख उत्तर या पूर्व की और हो,आसन वस्त्र सफ़ेद हो,अभाव में कोई भी लिये जा सकते है।सामने बाजोट पर सफ़ेद वस्त्र बिछा दीजिये उस पर सरस्वती यन्त्र स्थापित कीजिये तथा एक पञ्च मुखी रुद्राक्ष को स्नान करवाकर यन्त्र के ऊपर स्थापित कीजिये।अब गुरु तथा गणेश पूजन संपन्न करे।इसके बाद संकल्प ले।और यन्त्र तथा रुद्राक्ष का सामान्य पूजन करे।भोग में कोई भी सफ़ेद मिठाई अर्पण करे।घी का दीपक प्रज्वलित करे,जो की एक घंटे तक जलता रहना चाहिए।अब हाथ में अक्षत ले और निम्न मंत्र पड़ते हुए २१ बार रुद्राक्ष पर अर्पण करे।
ॐ ऐं महासरस्वती इहाग्च्छ इहतिष्ठ इह्स्थापय
अब निम्न मंत्र को २१ बार पड़े और हर बार मंत्र पड़ते जाये और रुद्राक्ष पर कुमकुम अर्पण करते जाये,हर मंत्र को २१ बार पड़ना होगा।
ॐ ऐं ज्ञान दात्री नमः
ॐ ऐं शारदा देवी नमः
ॐ ऐं ज्ञानस्वरूपा सरस्वती नमः
अब पूर्ण श्रधा के साथ रुद्राक्ष की और देखते हुए मूल मंत्र का एक घंटे तक जाप करे।इसके बाद लाल धागे को रुद्राक्ष में डालकर धारण कर ले,या जिसके लिये प्रयोग किया गया है उसे धारण करवा दे।प्रसाद स्वयं खाए,या उसे खिलाये जिसके लिये प्रयोग किया गया है।और नित्य इसी मंत्र को पानी पर २१ बार पड़कर पि लिया करे,या उस बालक को पिलाये जिसके लिये प्रयोग किया गया है।ऐसा नित्य कुछ दिनों तक करे।प्रभाव आपको धीरे धीरे स्वयं दिखाई देने लगेगा।
मंत्र : ॐ ऐं ऐं महा सरस्वती ऐं ऐं फट
OM AING AING MAHA SARASWATI AING AING PHAT
जय माँ


Saturday 8 June 2013

वास्तु प्रयोग ( संपत्ति की बिक्री हेतु )

वास्तु प्रयोग ( संपत्ति की बिक्री हेतु )


अक्सर हमारी कोई संपत्ति होती है।जिसे हम बेचना चाहते है।किन्तु वो लाख प्रयत्न करने पर भी बिकती नहीं है।किसी का घर नहीं बिक रहा है तो किसी की दुकान।इसके कारण कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। प्रस्तुत प्रयोग इसी विषय पर है।जिसके करने के बाद यदि आपकी कोई दुकान,कोई मकान,कोई ज़मीन आदि नहीं बिक रही है तो, उसके बिकने के योग बन जाते है।और शीघ्र की साधक को अनुकूलता प्राप्त होती है।

विधि: 
शनिवार की रात्रि में ग्वारपाठे ( एलोवेरा ) की जड़ उस जगह ले आये जो जगह आपको बेचनी है।अगर दुकान है तो वहा,घर है तो वहा या जिस ज़मीन को बेचना है वहा पर पूर्व या उत्तर की और मुख कर बैठ जाये,सामने एक पिला कपडा बिछा ले।उस पर वास्तु यन्त्र रख दे,ये संभव न हो तो वास्तु पुरुष के प्रतिक रूप में एक सुपारी स्थापित कर दे।अब सुपारी तथा जड़ पर हल्दी,कुमकुम,अक्षत अर्पण करे,घी का दीपक लगाये तथा धुप बत्ती भी लगाये।भोग में कोई भी मिठाई रख दे।अब वास्तु पुरुष से प्रार्थना करे की आपकी संपत्ति जो भी आप बेचना चाहते है,वो शीघ्र ही उचित मूल्य में बिक जाये।और निम्न दो मंत्रो का १०८ बार जाप करले बिना किसी माला के।अगले दिन सुबह जड़ को किसी सफ़ेद कागज़ में लपेट कर वहा रख आये जहा कचरा फेकते है।जाते वक़्त और आते वक़्त किसी से बात न करे।ये कार्य सुबह जितना जल्दी हो सके कर ले।और जाकर नहा ले।इसके बाद पिला कपडा और सुपारी का विसर्जन कर दे,पुनः वास्तु देवता से प्रार्थना कर ले।जो मिठाई अर्पण की गयी थी वो गरीबो में बाट दे।श्रेष्ठ तो यही रहता है की साधक सवा किलो मिठाई बाटें ।आगे आपकी जितनी श्रधा हो करे।
मंत्र : ॐ चैतन्य वास्तु पुरुषाय नमः (१०८ बार )
ॐ चैतन्य स्थल पुरुषाय नमः ( १०८ )
इसके अलावा एक प्रयोग और करे जो की अत्यंत सरल है,एल लाल रंग का लिफाफा ले लीजिये,अब दुकान या मकान है तो,वहा की एक कील निकाल ले और उसे लिफाफे में डालकर पानी में विसर्जित कर दे।और ज़मीन है तो वहा की मिटटी को लिफाफे में डालकर विसर्जित कर दे।विसर्जित करते वक़्त वास्तु पुरुष से प्रार्थना अवश्य करे।ये दो प्रयोग आपकी संपत्ति की बिक्री में आ रही सभी रूकावटो को दूर कर देंगे।
जय माँ

Monday 3 June 2013

अघोर महालक्ष्मी रुद्राक्ष एवं माला

अघोर महालक्ष्मी रुद्राक्ष एवं माला


कई बार हम महालक्ष्मी साधना करते है, लेकिन उसका लाभ हमें नहीं मिलता है।और अगर मिलता भी है तो विलम्ब से।लेकिन ऐसा क्या किया जाये जिससे की हमें महालक्ष्मी से सम्बंधित साधनाओ में त्वरित लाभ मिले ?
लाभ न मिलने के कई कारण हो सकते है।परन्तु एक विशेष कारण है उर्जा की कमी।प्रस्तुत विधान के द्वारा आप एक ऐसे रुद्राक्ष का निर्माण करेंगे जो महालक्ष्मी की साधनाओं में आपको सफलता दिलवाएगा।इस रुद्राक्ष को आप जरा भी हल्के में न ले,क्युकी इसके निर्माण के बाद ये अपने अन्दर प्रचंड उर्जा को समाहित कर लेता है।और महालक्ष्मी की साधनाओ में सफलता के आसार बढ जाते है।जब भी आप महालक्ष्मी से सम्बंधित साधना करे,रुद्राक्ष को सामने रख ले।बस इतना ही तो करना है।आप सफलता के ज्यादा निकट पहुच जायेंगे।भविष्य में इस रुद्राक्ष पर की जाने वाली महालक्ष्मी साधना ब्लॉग पर आएँगी अतः निर्णय आपको लेना है की आप इस रुद्राक्ष का निर्माण करना चाहते है या नहीं,अतः विधि आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हु।
यह एक दिवसीय प्रयोग है जो की अमावस्या की रात्रि १२ बजे से किया जाता है।आपका मुख उत्तर या पूर्व की ओर हो।आपके आसन वस्त्र लाल हो।सामने बाजोट पर लाल वस्त्र बिछा दे,और उस पर हल्दी मिश्रित अक्षत की ढेरी बना दे।अब एक पञ्च मुखी रुद्राक्ष ले और उसे जल से साफ करके ढेरी पर स्थापित कर दे। ढेरी की बायीं तरफ काले तील की एक ढेरी बना ले उस पर एक सुपारी स्थापित करे।अब इस सुपारी का भगवान अघोरेश्वर मानकर पूजन करे।सिंदूर,अक्षत,कोई फल भोग में लगाये,तील के तेल का दीपक लगाये।सारी क्रिया करते समय,
ॐ हूं अघोरेश्वारय नमः
का जाप करते रहे और सामग्री अर्पण करते जाये,इसके बाद भगवान अघोरेश्वर से प्रार्थना करे की वे आपको अघोर महालक्ष्मी रुद्राक्ष निर्माण में सफलता प्रदान करे।इसके बाद आप रुद्राक्ष का सामान्य पूजन करे कुमकुम,हल्दी,अक्षत के द्वारा,मिठाई का भोग लगाये और तील के तेल का दीपक लगाये।अब निम्न मंत्रो का जाप करते हुए सिंदूर की बिंदी रुद्राक्ष पर लगाते जाये।सिंदूर आपको तील के तेल में घोलना है।
ॐ श्रीं श्रिये नमः 
ॐ श्रीं विष्णु प्रिये नमः 
ॐ श्रीं धन वर्षिणी नमः
प्रत्येक मंत्र को १०८ बार बोलना है और बिंदी लगाते जाना है।
इसके बाद रुद्राक्ष माला से निम्न मंत्र की २१ माला करना है,और हर माला के बाद सिंदूर की बिंदी रुद्राक्ष पर लगाना है।ये पूरी क्रिया आपको रात्रि १२ से ३ के मध्य पूर्ण कर लेना है।विलम्ब हो जाने पर क्रिया निष्फल मानी जाएगी।मंत्र का जाप वाचिक होगा।
मंत्र : हूं हूं श्रीं श्रीं हूं हूं
HOOM HOOM SHREEM SHREEM HOOM HOOM
साधना के बाद रुद्राक्ष को स्नान कराकर सुरक्षित रख ले तथा अन्य सामग्री भोग सहित अगले दिन कही विसर्जित कर दे अथवा निर्जन स्थान में रख दे।स्मरण रहे की इस साधना में रुद्राक्ष ही नहीं बल्कि जाप में प्रयोग की गयी माला भी अघोर महालक्ष्मी माला में परिवर्तित हो जाती है।अतः नविन माला का ही प्रयोग करे।अब जब भी आप कोई महालक्ष्मी साधना करे रुद्राक्ष का सामान्य पूजन कर उसे बाजोट पर ही रख दे सफलता की संभावना बढ जायेगी।माला को संभाल कर रख ले।क्युकी भविष्य में इसी माला और रुद्राक्ष पर की जाने वाली महालक्ष्मी साधनाए ब्लॉग पर दी जाएँगी।जिसमे इनका प्रयोग अनिवार्य होगा।अब आप निर्माण करते है या नहीं,ये आप पर छोड़ता हु।तब तक के लिये
जय जगदम्बे


Saturday 1 June 2013

विजय प्राप्ति बगलामुखी साधना (न्यायालय में विजय प्राप्ति हेतु )

विजय प्राप्ति बगलामुखी साधना (न्यायालय में विजय प्राप्ति हेतु )


अक्सर विरोधी हमें कोर्ट के चक्कर में उलझा देते है।अकारण ही हम उसमे इतना उलझते जाते है की,सम्पूर्ण जीवन अस्त व्यस्त हो जाता है।और हम चाहकर भी उस परेशानी से निकल नहीं पाते है।तब आवश्यकता है की हम साधना कर जगदम्बा से सहायता प्राप्त करे।माँ पीताम्बरा अत्यंत करुणामयी है। आप अपनी प्यारी माँ से सहायता मांगे और माँ आप पर कृपा न करे ऐसा तो कभी हो ही नहीं सकता है।प्रस्तुत साधना इसी विषय पर है,जिसे संपन्न करने पर मुक़दमे से सम्बंधित परेशानियों में शीघ्र ही लाभ मिलता है।जिस पर भी केस चल रहा हो वो इस प्रयोग को कर सकता है अन्यथा उस व्यक्ति के लिये संकल्प लेकर कोई भी इसे कर सकता है।
साधना किसी भी रविवार रात्रि १० के बाद आरम्भ करे,आसन वस्त्र पीले हो,दिशा उत्तर या पूर्व हो।सामने बजोट पर पिला वस्त्र बिछा दे,और उस पर बगलामुखी यन्त्र या चित्र स्थापित करे।अब भोज पत्र पर हल्दी की स्याही से बीज मंत्र " ह्लीं " लिखे और उसे यन्त्र के सामने रख दे।अब सरसों के तेल का दीपक जलाये और यन्त्र तथा भोज पत्र का सामान्य पूजन करे।भोग में कोई पिली वस्तु अर्पण करे जिसे केस वाले व्यक्ति को नित्य खा लेना है।अब निम्न मंत्र पड़ते हुए एक चुटकी हल्दी यन्त्र तथा भोज पत्र पर अर्पण करे।इसी प्रकार हर मंत्र को ३६ बार पड़ना है और हल्दी अर्पण करना है।याद रखे एक मंत्र को ३६ बार पड़े और एक चुटकी हल्दी अर्पण करे।
ॐ बगलामुखी देव्ययी नमः 
ॐ पीताम्बरा देव्ययी नमः 
ॐ पीतवर्णा देव्ययी नमः 
ॐ सर्व स्तंभिनी देव्ययी नमः
ॐ सर्व शत्रु नाशिनी देव्ययी नमः
ॐ सर्व उपद्रव नाशिनी देव्ययी नमः
ॐ सर्व रक्षिणी बगला देव्ययी नम:

इसके बाद निम्न मंत्र की हल्दी माला पिली हकिक माला या रुद्राक्ष माला से ११ माला जाप करे।इस प्रकार साधना नित्य ११ दिनों तक करे।संकल्प अवश्य ले की आप ये साधना क्यों कर रहे है।साधना के बाद भोज पत्र को किसी तावीज़ में धारण कर ले।जो हल्दी का चूर्ण नित्य अर्पण किया था उसे एकत्र करके रख ले और मस्तक पर लगाये माँ आपको अपनी गोद में उठाकर बचा लेगी।बस माँ के समक्ष करुण पुकार करना न भूले।
मंत्र: ॐ हूं ह्लीं हूं फट ( OM HOOM HLEEM HOOM PHAT)

जय पीताम्बरा

धूमावती साधना एवं कुछ गोपनीय सूत्र

धूमावती साधना एवं कुछ गोपनीय सूत्र


हम हमेशा कई प्रकार की साधनाए करते रहते है।परन्तु सफलता न मिल पाने के कारण हम निराश हो जाते है।और हो भी क्यों न,परिश्रम में सफलता न मिलने से निराशा तो स्वभाविक है।सफलता न मिलने के दो कारण होते है।

प्रथम : साधना में उर्जा की कमी होना तथा समर्पण न होना।

द्वितीय : साधना के गुप्त सूत्रों का ज्ञान न होना जिससे की सफलता की सम्भावना बढ जाती जाती है।

उर्जा पर हम फिर कभी चर्चा करेंगे।आज हम माँ धूमावती की साधना में प्रयोग होने वाले कुछ गोपनीय सूत्रों पर चर्चा करेंगे।
कई साधक माँ धूमावती की साधनाए करते है,लाखो की संख्या में जाप करते है। किन्तु मंत्र की उर्जा का उन्हें अनुभव नहीं होता है। कार्य सिद्धि के लिये भी कई साधक धूमावती की साधना करते है लेकिन कार्य सिद्ध नहीं हो पाता है। किन्तु कुछ गुप्त प्रयोग है जिन्हें आप संपन्न करके सफलता के निकट पहुच सकते है।

- साधना के पहले किसी भी दिन शमशान की मिट्टी में शमशान की भस्म मिलायी जाये,ये संभव न हो तो कोई भी भस्म ले और शिव मंदिर की मिट्टी ले।उसमे गुलाब जल और सामान्य जल मिलाकर एक लड्डू की तरह या अंडाकार पिंड का निर्माण कर ले।और उस पर काजल से बीज मंत्र " धूं " लिखे ये सारी क्रिया आपको रात्रि में करनी है।और एकांत कक्ष में करनी है।हा भस्म और मिट्टी आप दिन में ला सकते है।परन्तु उसे बाहर ही रखे,प्रयोग के समय कक्ष में लाये।अब दक्षिण मुख होकर बैठ जाये आसन वस्त्र सफ़ेद हो।सामने बजोट पर सफ़ेद वस्त्र बिछाकर पिंड स्थापित करदे।अब पिंड पर अक्षत अर्पण करे निम्न मंत्र बोलते हुए।
ॐ धूम्र शिवाय नमः
अब कोई भी भस्म अर्पण करे निम्न मंत्र बोलते हुए
ॐ धूं धूं ॐ
अक्षत तथा भस्म २१ बार अर्पण करने है मंत्र बोलते हुए।
अब तील के तेल का दीपक प्रज्वलित करे,और किसी भी धुप बत्ती के द्वारा धुआ करे।अब आप धूमावती की जिस साधना में सफलता के लिये ये प्रयोग कर रहे है उसका संकल्प ले।और पिंड की और देखते हुए ३० मिनट तक निम्न मंत्र का जाप करे
ॐ धूं धूं धूमावती फट
इसके बाद उसी कपडे में पिंड को बांधकर शमशान में फेक आये या किसी निर्जन स्थान में रख दे पीछे मुड़कर न देखे।साधना के मध्य कोई अनुभव हो तो डरे नहीं।फिर आप जब चाहे कोई भी धूमावती साधना करे सफलता आपके समक्ष होगी।

- शमशान से कोई सफ़ेद वस्त्र ले ले,जिसे शव पर ओढाया जाता है।उस पर वही की भस्म या कोयले के द्वारा निम्न मंत्र लिख कर उस कपडे को बहते जल में बहा दे या पीपल वृक्ष के निचे रख दे।
धूं धूं धूमावती ठः ठः
यदि आपको शमशान का कपडा न मिले तो कोई भी नया सफ़ेद वस्त्र लेकर शमशान भूमि से स्पर्श करा ले और उस पर काजल से मंत्र लिखकर ये क्रिया कर ले।

- यदि आसन के निचे कोए का पंख रख लिया जाये,या सामने रख लिया जाये तो सफलता की सम्भावना बढ जाती है।
यु तो और भी कई गोपनीय सूत्र है परन्तु ये मेरे स्व अनुभूत है।किसी और के अनुभव मुझसे अलग हो सकते है।द्वितीय प्रयोग आप तब भी कर सकते है जब कोई शत्रु तंग कर रहा हो,या कोई ऐसी इच्छा जो प्रयत्न करने पर भी पूर्ण न हो रही हो तब भी आप वस्त्र को कामना बोलते हुए बहा सकते है।इन तीन गुप्त प्रयोगों को करने के बाद आप धूमावती साधना करे।माँ की कृपा से सफलता आपको अवश्य मिलेगी।
जय माँ