Monday 24 November 2014

अश्वत्थ प्रयोग 


हमारे शास्त्रो में पीपल वृक्ष की अत्यधिक प्रशंसा की गयी है.सभी देवी तथा देवताओं का निवास इस वृक्ष में माना गया है.विशेष रूप से श्री नारायण को यह वृक्ष अत्यंत प्रिय है,उन्होंने कहा भी है की वृक्षों में,मै पीपल हु.इसलिए विष्णु से जुड़े हुए कई प्रयोग पीपल वृक्ष के निचे किये जाते है.जीवन में सफलता बड़े ही परिश्रम के बाद प्राप्त होती है.किन्तु कई बार परिश्रम भी काम नहीं आता है.इसका सीधा सा अर्थ है की भाग्य कही ना कही रोड़े अटका रहा है.ऐसी स्थिति में यह प्रयोग साधक को सफलता की और बढ़ाता है साथ ही,उसके द्वारा किये जा रहे परिश्रम में भी उसे सफलता की प्राप्ति होती है.इसमें आपको अधिक परिश्रम भी नहीं करना होता है.हा परन्तु नियम पूर्वक इस क्रिया को आपको करना पड़ेगा।यह क्रिया साधक को ४० दिवस सतत करनी होती है.साधक चाहे तो बाद में भी इस क्रिया को करते रहे.यदि ४० दिनों के मध्य में किसी कारण आप एक या दो दिन चूक जाते है,तो भी इस क्रिया में कोई समस्या नहीं है.आप आगे उन दिनों को  जोड़कर इस क्रिया को पूर्ण कर सकते है.परन्तु करे अवश्य।साधक को नित्य एक पात्र में दूध, पानी और श्वेत तिल मिलाकर पीपल वृक्ष में अर्पित करना चाहिए।और वही खड़े खड़े अथवा बैठकर निम्न मंत्र का कुछ देर जाप करना चाहिए।पात्र ताम्बे का नहीं होना चाहिए।जाप के पश्चात भगवान विष्णु का पीपल वृक्ष में ध्यान कर उनसे सफलता प्रदान करने की प्रार्थना करनी चाहिए।

ॐ चैतन्य अश्वथाय शरणं नमः 

Om Chayitanya Ashwathaay Sharnam Namah 

नित्य इस क्रिया को करते रहने से साधक पर श्री हरी की कृपा होती है,और वो सफलता की और अग्रसर होता है.नारायण कृपा प्राप्त होने लगती है तथा जीवन में धनागमन के मार्ग भी खुलने लगते है.इतने सरल प्रयोग होने के पश्चात भी यदि कोई इसे ना करे तो इसे उसका दुर्भाग्य ही कहा जायेगा।अतः इस सरल से प्रयोग को अपने जीवन में उतारकर जीवन में आनंद का अनुभव करे.

श्री हरी 



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