सिद्ध कुंजिका और कुछ आवश्यक बाते
कुंजीका स्त्रोत वासतव मे सफलता की कुंजी हि है,सप्तशती का पाठ इसके बिना पूर्ण नहीं माना जाता है.षटकर्म में भी कुंजिका रामबाण कि तरह कार्य करता है.परन्तु जब तक इसकी ऊर्जा को स्वयं से जोङ न लीया जाए तबतक इसके पूर्ण प्रभाव कम हि दिख पाते है.आज हम यहा कुंजिका स्त्रोत को सिद्ध करने कि विधि तथा उसके अन्य प्रयोगो पर चर्चा करेंगे।सर्व प्रथम सिद्धि विधान पर चर्चा करते है.साधक किसी भी मंगलवार अथवा शुक्रवार से यह साधना आरम्भ करे.समय रात्रि १० के बाद का हो और ११.३० के बाद कर पाये तो और भि उत्तम होगा।लाल वस्त्र धारण कर लाल आसन पर पूर्व अथवा उत्तर कि और मुख कर बैठ जाये।सामने बाजोट पर लाल वस्त्र बिछा दे और उस पर माँ दुर्गा का चित्र स्थापित करे.अब माँ का सामान्य पूजन करे तेल अथवा घी का दीपक प्रज्वलित करे.किसी भी मिठाई को प्रसाद रूप मे अर्पित करे.और हाथ में जल लेकर संकल्प ले,कि माँ मे आज से सिद्ध कुञ्जिका स्तोत्र का अनुष्ठान आरम्भ कर रहा हु.में नित्य ९ दिनों तक ५१ पाठ करूँगा,माँ मेरी साधना को स्वीकार कर मुझे कुंजिका स्तोत्र कि सिद्धि प्रदान करे तथा इसकी ऊर्जा को मेरे भीतर स्थापित कर दे.जल भूमि पर छोड़ दे और साधक ५१ पाठ आरम्भ करे.इसी प्रकार साधक ९ दिनों तक यह अनुष्ठान करे.प्रसाद नित्य स्वयं खाए.इस प्रकार कुञ्जिका स्तोत्र साधाक के लिये पूर्ण रूप से जागृत तथा चैतन्य हो जाता है.फिर साधक इससे जुड़ी कोइ भि साधना सफलता पूर्वक कर सकता है.
कुंजिका स्तोत्र और कुछ अवश्यक नियम
१. साधना काल मे ब्रह्मचर्य क पलन करने आवशयक है.केवल देह से हि नहि अपितु मन से भी आवश्यक है.
२. साधक भूमि शयन कर पाये तो उत्तम होगा
३. कुंजिका स्तोत्र के समय मुख मे पान ऱखा जाएं तो ईससे माँ प्रसन्न होती है.इस पान मे चुना,कत्था और ईलायची के अतिरिक्त और कुछ ना ड़ाले।कई साधक सुपारी और लौंग भि डालतें है पर इतनी देर पान मुख मे रहेगा तो सुपाऱी से जिव्हा कट सकती है तथा लौंग अधिक समय मुख मे रहे तो छाले कर देति है.अतः ये दो वस्तु ना ड़ाले।
४ अगर नित्य कुंजिका स्तोत्र समाप्त करने के बाद एक अनार काटकर माँ को अर्पित किया जाये तो इससे साधना का प्रभाव और अधिक हो जाता है.परन्तु ये अनार साधक को नहीं ख़ाना चाहिए ये नित्य प्रातः गाय को दे देना चाहिए।
५. यदि आपका रात्रि मे कुंजिका का अनुष्टान चल रहा है तो नित्य प्रातः पूजन के समय किसी भि माला से ३ माला नवार्ण मंत्र की करे.इससे यदि साधना काल मे आपसे कोइ त्रुटि हो रही होंगी तो वो समाप्त हो जायेगी।वैसे ये आवश्यक अंग नहीं है फ़िर भी साधक चाहे तो कर सकते है.
६. साधना गोपनीय रखे गुरु तथा मार्गदर्शक के अतिरिक्त किसी अन्य को साधना समाप्त होने तक कुछ न बताए,ना हि साधना सामाप्त होने तक किसी से कोइ चर्चा करे.
७. जहा तक सम्भव हो साधना मे सभी वस्तुए लाल हि प्रयोग करे.
जब साधक उपरोक्त विधान के अनुसार कुंजिका को जागृत कर ले,तब इसकी मध्यम से काई प्रकार के काम्य प्रयोग किये ज सकते है.यहाँ कुछ प्रयोग दिये ज रहे है.
धन प्राप्ति
किसी भी शुक्रवार कि रात्रि मे माँ का सामान्य पुजन करे.इसके बाद कुंजिका के ९ पाठ करे इसके पश्चात, नवार्ण मन्त्र से अग्नि मे २१ आहुति सफ़ेद तील से प्रदान करे.नवार्ण मंत्र में श्रीं बिज आवश्य जोड़ें। श्रीं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै नमः स्वाहा, आहुति के बाद पुनः ९ पाठ करे.इस प्रकार ९ दिनों तक करने से धनागमन के मर्ग खुलनी लगतें है.
शत्रु मुक्ति
शनिवार रात्रि मे काले वस्त्र पर एक निंबू स्थापित करे तथा इस पर शत्रु का नाम काजल से लिख दे.और इस निम्बू के समक्ष हि सर्व प्रथम ११ बार कुंजिका का पाठ करे.इसके बाद हूं शत्रुनाशिनी हूँ फट मन्त्र क ५ मिनट तक निम्बू पर त्राटक करते हुए जाप करे.फिर पुनः ११ पाठ करे.इसके बाद निम्बू कही भूमि मे गाङ दे.शत्रु बाधा समाप्त हो जायेगी।
रोग नाश
नित्य कुंजिका के ११ पाठ करके काली मिर्च अभिमंत्रित कर ले.इसके बाद रोगी पर से इसे ७ बार घुमाकर घर के बहार फैक़ दे.कुछ दिन प्रयोग करने से सभी रोग शांत हो जाते है.
आकर्षण
कुंजिका का ९ बार पाठ करे तत्पश्चात क्लीं ह्रीं क्लीं मन्त्र क १०८ बार जाप करे तथा पुनः ९ पाठ कुंजिका के करे और जल अभीमंत्रित कर ले.इस जल को थोड़ा पि जाएं और थोड़े से मुख धो ले.सतत करते रहने से साधक मे आकर्षण शक्ति का विकास होता है.
स्वप्न शांति
जिन लोगो को बुरे स्वप्न आते है उनके लिए ये प्रयोग उत्तम है.किसी भी समय एक सिक्का ले और थोड़े क़ाले तिल ले.३ दिनों तक नित्य २१ पाठ कुंजिका के कर और इन्हे अभिमंत्रित करे.इसके बाद दोनों को एक लाल वस्त्र मे बांध कर तकिये के निचे रखकर सोये।धीरे धीरे बुरे स्वप्न आना बन्द हो जायेंगे।
तंत्र सुरक्षा
बुधवार के दिन एक लोहे कि कील ले और इसकी समक्ष कुंजिका के २१ पाठ करे प्रत्येक पाठ कि समाप्ति पर कील पर एक कुमकुम कि बिंदी लगाये इसके बाद इस कील को लाल वस्त्र मे लपेट कर घर के मुख्य द्वार के बाहर भूमि मे गाढ़ दे.इससे घर तंत्र क्रियायों से सुरक्षित रहेगा।
उपरोक्त सभी प्रयोग सरल है परन्तु ये तभि प्रभावी होंगे जब आप स्वयं के लिए कुंजिका को जागृत कर लेंगे।अतः सर्वप्रथम कुंजिका को जागृत करे इसकी बाद हि कोइ प्रयोग करे.शीघ्र ही अन्य प्रयोग भि बतायेँगे। तब तक के लिए.
जय अम्बे
अन्य जानकारी के लिए मेल करे.
sadhika303@gmail.com
pitambara366@gmail.com
कुंजिका स्तोत्र और कुछ अवश्यक नियम
१. साधना काल मे ब्रह्मचर्य क पलन करने आवशयक है.केवल देह से हि नहि अपितु मन से भी आवश्यक है.
२. साधक भूमि शयन कर पाये तो उत्तम होगा
३. कुंजिका स्तोत्र के समय मुख मे पान ऱखा जाएं तो ईससे माँ प्रसन्न होती है.इस पान मे चुना,कत्था और ईलायची के अतिरिक्त और कुछ ना ड़ाले।कई साधक सुपारी और लौंग भि डालतें है पर इतनी देर पान मुख मे रहेगा तो सुपाऱी से जिव्हा कट सकती है तथा लौंग अधिक समय मुख मे रहे तो छाले कर देति है.अतः ये दो वस्तु ना ड़ाले।
४ अगर नित्य कुंजिका स्तोत्र समाप्त करने के बाद एक अनार काटकर माँ को अर्पित किया जाये तो इससे साधना का प्रभाव और अधिक हो जाता है.परन्तु ये अनार साधक को नहीं ख़ाना चाहिए ये नित्य प्रातः गाय को दे देना चाहिए।
५. यदि आपका रात्रि मे कुंजिका का अनुष्टान चल रहा है तो नित्य प्रातः पूजन के समय किसी भि माला से ३ माला नवार्ण मंत्र की करे.इससे यदि साधना काल मे आपसे कोइ त्रुटि हो रही होंगी तो वो समाप्त हो जायेगी।वैसे ये आवश्यक अंग नहीं है फ़िर भी साधक चाहे तो कर सकते है.
६. साधना गोपनीय रखे गुरु तथा मार्गदर्शक के अतिरिक्त किसी अन्य को साधना समाप्त होने तक कुछ न बताए,ना हि साधना सामाप्त होने तक किसी से कोइ चर्चा करे.
७. जहा तक सम्भव हो साधना मे सभी वस्तुए लाल हि प्रयोग करे.
जब साधक उपरोक्त विधान के अनुसार कुंजिका को जागृत कर ले,तब इसकी मध्यम से काई प्रकार के काम्य प्रयोग किये ज सकते है.यहाँ कुछ प्रयोग दिये ज रहे है.
धन प्राप्ति
किसी भी शुक्रवार कि रात्रि मे माँ का सामान्य पुजन करे.इसके बाद कुंजिका के ९ पाठ करे इसके पश्चात, नवार्ण मन्त्र से अग्नि मे २१ आहुति सफ़ेद तील से प्रदान करे.नवार्ण मंत्र में श्रीं बिज आवश्य जोड़ें। श्रीं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै नमः स्वाहा, आहुति के बाद पुनः ९ पाठ करे.इस प्रकार ९ दिनों तक करने से धनागमन के मर्ग खुलनी लगतें है.
शत्रु मुक्ति
शनिवार रात्रि मे काले वस्त्र पर एक निंबू स्थापित करे तथा इस पर शत्रु का नाम काजल से लिख दे.और इस निम्बू के समक्ष हि सर्व प्रथम ११ बार कुंजिका का पाठ करे.इसके बाद हूं शत्रुनाशिनी हूँ फट मन्त्र क ५ मिनट तक निम्बू पर त्राटक करते हुए जाप करे.फिर पुनः ११ पाठ करे.इसके बाद निम्बू कही भूमि मे गाङ दे.शत्रु बाधा समाप्त हो जायेगी।
रोग नाश
नित्य कुंजिका के ११ पाठ करके काली मिर्च अभिमंत्रित कर ले.इसके बाद रोगी पर से इसे ७ बार घुमाकर घर के बहार फैक़ दे.कुछ दिन प्रयोग करने से सभी रोग शांत हो जाते है.
आकर्षण
कुंजिका का ९ बार पाठ करे तत्पश्चात क्लीं ह्रीं क्लीं मन्त्र क १०८ बार जाप करे तथा पुनः ९ पाठ कुंजिका के करे और जल अभीमंत्रित कर ले.इस जल को थोड़ा पि जाएं और थोड़े से मुख धो ले.सतत करते रहने से साधक मे आकर्षण शक्ति का विकास होता है.
स्वप्न शांति
जिन लोगो को बुरे स्वप्न आते है उनके लिए ये प्रयोग उत्तम है.किसी भी समय एक सिक्का ले और थोड़े क़ाले तिल ले.३ दिनों तक नित्य २१ पाठ कुंजिका के कर और इन्हे अभिमंत्रित करे.इसके बाद दोनों को एक लाल वस्त्र मे बांध कर तकिये के निचे रखकर सोये।धीरे धीरे बुरे स्वप्न आना बन्द हो जायेंगे।
तंत्र सुरक्षा
बुधवार के दिन एक लोहे कि कील ले और इसकी समक्ष कुंजिका के २१ पाठ करे प्रत्येक पाठ कि समाप्ति पर कील पर एक कुमकुम कि बिंदी लगाये इसके बाद इस कील को लाल वस्त्र मे लपेट कर घर के मुख्य द्वार के बाहर भूमि मे गाढ़ दे.इससे घर तंत्र क्रियायों से सुरक्षित रहेगा।
उपरोक्त सभी प्रयोग सरल है परन्तु ये तभि प्रभावी होंगे जब आप स्वयं के लिए कुंजिका को जागृत कर लेंगे।अतः सर्वप्रथम कुंजिका को जागृत करे इसकी बाद हि कोइ प्रयोग करे.शीघ्र ही अन्य प्रयोग भि बतायेँगे। तब तक के लिए.
जय अम्बे
अन्य जानकारी के लिए मेल करे.
sadhika303@gmail.com
pitambara366@gmail.com
:::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::
गुरू जी को सादर प्रणाम,
ReplyDeleteकृपया बतायें कि “सिद्धकुंजिकास्त्रोत्रम मंत्र” जागृत हो गया या नहीं” कैसे ज्ञात करें ? और यदि जागृत हो गया हो तो इसका स्वयं के हित में कार्य सिद्धी का उपयोग किस विधि से किया जाये ? सधन्यवाद |
Jai maa.
ReplyDeleteJai maa.
ReplyDeleteNice information brother
ReplyDeletePlz bataiye ki hum guru kisko banaye.
ReplyDeleteKya yeh stotar guru ke bina sidh ho skta hai
Are bhai ye to already sidh he isko sidh thodi karna he ...jai mata ki
Deletees strot ko koi bhi sidh kar sakta ha isme kisi guru ki jàrurat nahi hai kiyo ki shapshati me kaha gaya hài ki yah apne aap me sidh hai bas aap sab ko keval àpne man ke bhav se ese karna h
ReplyDeleteI did it for 9 days. My energy level is increased. But how would i know whether it is jagrit
ReplyDeleteSiddkunjika stotra ka 9 days ka anu stain kiya hai plz bataya mere bete ki safalta ke liye mei is ka paryog kese karu
ReplyDeleteDivya strot hai sath mai navarn ka jaap bhi karo bhavya anubhutiya hone lagegi
ReplyDeletemata ke pratyakch darshan hone lagege aapse murtiya baat karne lagegi
apse murtiyan baat ki thi?
Deletehello plz am a student ..trying for government job and suffering from little health issue ..can I do read kunjikastrotra daily once during morning Puja without long rituals ???? plzz reply mee jai Mata dee
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteSir sidh kunjika ka sirf mantra 51 times bolna ya pura path ....
ReplyDeleteSbse pehli baat stotra complete pdna hai Ya sirf mantra. Second mantra 9baar 51 waar pdna hai Ya ek baar
DeleteAgr 1 baar hai to 108 baar bolskte hai
Reply bhi kr diya kro kisi ka ye sb pagl to h nhi h
ReplyDeleteजागृत जानने का आसान सा तरीका इस प्रकार है - जब अगली बार स्त्रोत का जप करें तो अपनी आंखों को बंद करके भौहों के मध्य ध्यान लगाए, अगर थोतदों के मध्य कंपन्न महसूस होता है तो समझों आप सही दिशा में चल रहें है, घ्यान रहें मंत्रों की शाक्ति तभी फ्लीभूत होती है जब मन में किसी थी आदमी के प्रति नफरत घृणा, द्वेश न हो। अगर ये सब है तो त्याग दे वयोकि सफलता फिर कभी नहीं मिलेगी चाहे करोड़ो जप कर लो।
ReplyDeleteजागृत जानने का आसान सा तरीका इस प्रकार है - जब अगली बार स्त्रोत का जप करें तो अपनी आंखों को बंद करके भौहों के मध्य ध्यान लगाए, अगर भौहो के मध्य कंपन्न, तेजपन महसूस होता है तो समझों आप सही दिशा में चल रहें है, घ्यान रहें मंत्रों की शाक्ति तभी फ्लीभूत होती है जब मन में किसी थी आदमी के प्रति नफरत घृणा, द्वेश न हो। अगर ये सब है तो त्याग दे वयोकि सफलता फिर कभी नहीं मिलेगी चाहे करोड़ो जप कर लो।
ReplyDeleteजागृत जानने का आसान सा तरीका इस प्रकार है - जब अगली बार स्त्रोत का जप करें तो अपनी आंखों को बंद करके भौहों के मध्य ध्यान लगाए, अगर थोतदों के मध्य कंपन्न महसूस होता है तो समझों आप सही दिशा में चल रहें है, घ्यान रहें मंत्रों की शाक्ति तभी फ्लीभूत होती है जब मन में किसी थी आदमी के प्रति नफरत घृणा, द्वेश न हो। अगर ये सब है तो त्याग दे वयोकि सफलता फिर कभी नहीं मिलेगी चाहे करोड़ो जप कर लो।
ReplyDeletemaran bhi btae guruji
ReplyDeleteGuru ji main morning and evening main daily sidhkunjika ka paath krta hun.... And feel a lott of change positively in my life.
ReplyDeleteGuru ji siddh kunjika siddh ho Jane ke. Bad uska praying kaise kare?
ReplyDeleteguru ji batayen ki kunjika strot ka path shiv uvach se hi aarambh karna hai ya beej mantra se bhi jap karke siddh kar sakte hain?
ReplyDeleteSbse pehli baat stotra complete pdna hai Ya sirf mantra. Second mantra 9baar 51 waar pdna hai Ya ek baar
ReplyDeleteAgr 1 baar hai to 108 baar bolskte hai
सुनने में आया है कि कुंजिका स्तोत्र की एक लाइन छूटी हुई है एक मंत्र जो गोपनीय है वो कौन सा ह बताने की कृपा करें कि कौन सी लाइन इसमे नही है और गोपनीय है
ReplyDelete