Sunday 28 April 2013

धनदा रति प्रिया यक्षिणी साधना


धनदा रति प्रिया यक्षिणी साधना




नाम से ही समझ में आता है की ये यक्षिणी साधक की सारी आर्थिक तंगी को दूर कर उसे आर्थिक रूप से मजबूत बनाती है.अगर ये प्रसन्न हो जाये तो साधक कुबेर की भाती जीवन जीता है.

विधि:
साधना किसी भी शुभ दिन से शुरू करे या शुक्रवार से,शिवरात्रि में अच्छा मुहरत है.समय रात्रि दस के बाद का हो. आसन वस्त्र पीले या लाल हो. दिशा-उत्तर ,अपने सामने बजोट पर उसी रंग का वस्त्र बिछाये जो आपने पहना है.एक ताम्र पात्र में बीज मंत्र " हूं " लिखे कुमकुम से और उसके ऊपर एक तील के तेल से भरा हुआ दीपक रखे।अब यथा संभव गुरु पूजन तथा गणेश पूजन करे,कोई भी शिवलिंग स्थापित करे वो न हो तो चित्र रख ले.कोई भी मिठाई या गुड अर्पण करे.दीपक का पूजन करे।तथा संकल्प ले की
“में ये प्रयोग अपनी आर्थिक कष्ट मिटाने हेतु कर रहा हु,धनदा रति प्रिया यक्षिणी मुझ पर प्रस्सन हो कर मुझे आर्थिक लाभ प्रदान करे”.
इसके बाद स्फटिक माला,रुद्राक्ष माला या मूंगा माला से,ॐ नमः शिवाय की एक माला करे और यक्षिणी मंत्र की कम से कम ११ माला जाप करे और उसके बाद पुनः एक माला ॐ नमः शिवाय की करे।
इस तरह ये एक दिवस का प्रयोग आपको जीवन में कई लाभ प्रदान करेगा
।साधक चाहे तो अधिक जाप भी कर सकता है.प्रसाद स्वयं खा ले.नित्य एक माला जाप करते रहे तो जीवन में आने वाले आर्थिक परिवर्तन को आप स्वयं देख लेना।जाप दीपक की और देखते हुए करे और दीपक का भी सामान्य पूजन करे,यक्षिणी का स्वरुप मानकर।यदि इसी साधना को लगातार ४० दिन किया जाये तो प्रत्यक्षीकरण हो जाता है.उसमे प्रतिदिन आप २१  माला करे.यदि आप उपरोक्त विधान नहीं कर रहे है तो मात्र गुरु चित्र की और देखते हुए ही जाप कर ले तो अनुकूलता मिलने लगती है. इस साधना की यही खास बात है की इसमें ज्यादा ताम झाम नहीं है. मेरे एक प्रिय भाई के कहने पर ये साधना पोस्ट कर रहा हु. क्युकी उन्हें ज्यादा ताम झाम पसंद नहीं आता है.
माँ आपको सफलता प्रदान करे.जय माँ। :-)

मंत्र:
ॐ हूं ह्रीं ह्रीं ह्रीं धनदा रति प्रिया यक्षिणी इहागच्छ मम दारिद्रय नाशय नाशय सकल ऐश्वर्य देहि देहि हूं फट स्वाहा। 

10 comments:

  1. महोदय जी सदर प्रणाम, आपके द्वारा दी गयी साधनाए अति उत्तम है | मेरा आपसे एक अनुरोध है की जो आप साधनाए पोस्ट करते है उनमे जो मन्त्र का वर्णन होता है उसका उचारण आप अंग्रजी में भी कर दिया करे तो बहुत अच्छा होगा क्योकि कई बार ( हुम की जगह हुंग या क्रीम की जगह क्रिंग पढ़ा जाता है ) और साधना में रक्षा विधान भी बता दे तो अति कृपया होगी धन्यवाद |

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  2. मैं एक विकलांग युवक हूं, मैं शीघ्र धन प्राप्ति हेतु धनदा रति प्रिया यक्षिणी साधना संपन्न करना

    चाहता हूं। कृपया यह बताऐं कि इसके लिए मुझे क्या करना होगा ?

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  3. Very good parantu koi vishesh adhyatmik anubhav kisi ko hua ho to bataiyega

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  4. Me bhi ye sadhna karna chahti Hu plz mera margdarshan kijiye...

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  5. Babaji kya dhanda yasini patni aur bacchho ko tao paradan nahi karti hai. Kripya margadarsan kary

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  6. Babaji kya dhanda yasini patni aur bacchho ko tao paradan nahi karti hai. Kripya margadarsan kary

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  7. मुझे भी साधना करनी है रति माता की कृपया बताएँ

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  8. मुझे भी साधना करनी हैं कृपया बताए रति माता की

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  9. संकल्प :- देशकालौ सग्कृर्त्य श्रीधनदेश्र्वरीप्रीयते लक्षसंख्यात्मक जपपुरश्र्चरण महं करिष्ये।
    मंत्र :- ॐ रं श्रीं धं धनदे रतिप्रिये स्वाहा ।
    ध्यान :- ॐ हेमाप्राकारमध्ये सुरविटपितटे रक्तपीठाधिरूढां ।
    ध्यायेत्तां यक्षिणी वै परिमल कुसुमोद्भासिधमिल्लभाराम्।।
    पीनोत्तुड़्गस्तनाढ्यां कुवलयनयनां रक्तकाञ्चीं कराभ्यां ।
    भ्राम्यद्रक्तोत्पलाभ्यां नवरविवसनां रक्तभूषाड़्ग रागाम् ।।
    इति ध्यात्वा।/
    आसनशुध्दि देहशुध्दि दिशाशुध्दि इत्यादि कर । यंत्र प्राण-प्रतिष्ठा करने के बाद आवरणपूजन करने के पश्र्चात् धूपादि से नमस्कार पर्यन्त भी पूजन करने के बाद प्रवाल, मूंगा या रूद्राक्ष माला से एक लाख मन्त्र जप करे।
    जप संख्या रोज एक ही होना चाहिए कम या ज्यादा नही होना चहिये। रोज खीर का भोग लगाना आवश्यक है। बीच मे कुछ दृश्य देखने पर किसी से कहे नही । साधना तो बतलाया गया है मन्त्रसिध्द किया गया है लेकिन किसी योग्य गुरू या अच्छे विद्वान से राय लेकर ही करे।

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  10. संकल्प :- देशकालौ सग्कृर्त्य श्रीधनदेश्र्वरीप्रीयते लक्षसंख्यात्मक जपपुरश्र्चरण महं करिष्ये।
    मंत्र :- ॐ रं श्रीं धं धनदे रतिप्रिये स्वाहा ।
    ध्यान :- ॐ हेमाप्राकारमध्ये सुरविटपितटे रक्तपीठाधिरूढां ।
    ध्यायेत्तां यक्षिणी वै परिमल कुसुमोद्भासिधमिल्लभाराम्।।
    पीनोत्तुड़्गस्तनाढ्यां कुवलयनयनां रक्तकाञ्चीं कराभ्यां ।
    भ्राम्यद्रक्तोत्पलाभ्यां नवरविवसनां रक्तभूषाड़्ग रागाम् ।।
    इति ध्यात्वा।/
    आसनशुध्दि देहशुध्दि दिशाशुध्दि इत्यादि कर । यंत्र प्राण-प्रतिष्ठा करने के बाद आवरणपूजन करने के पश्र्चात् धूपादि से नमस्कार पर्यन्त भी पूजन करने के बाद प्रवाल, मूंगा या रूद्राक्ष माला से एक लाख मन्त्र जप करे।
    जप संख्या रोज एक ही होना चाहिए कम या ज्यादा नही होना चहिये। रोज खीर का भोग लगाना आवश्यक है। बीच मे कुछ दृश्य देखने पर किसी से कहे नही । साधना तो बतलाया गया है मन्त्रसिध्द किया गया है लेकिन किसी योग्य गुरू या अच्छे विद्वान से राय लेकर ही करे।

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