Thursday 23 May 2013

अघोरेश्वर तंत्र बाधा निवारण प्रयोग


अघोरेश्वर तंत्र बाधा निवारण प्रयोग




वर्तमान में कई ऐसे मनुष्य है जो तंत्र बाधा से ग्रसित है।तंत्र बाधा के कारण प्रगति रुक जाती है।मनुष्य कितना ही परिश्रम कर ले,परन्तु उसकी मेहनत तंत्र बाधा के कारण सफल नहीं हो पाती है।तथा वो अपने जीवन के दुखो को भाग्य समझ कर बैठ जाता है।परन्तु क्या ये इसका हल है ? नहीं बिलकुल नहीं,हमें तंत्र बाधा को अपने जीवन से उठाकर बाहर फेक देना चाहिए।प्रस्तुत प्रयोग इसी विषय पर है।चाहे तंत्र बाधा पहाड़ जितनी बड़ी ही क्यों न हो,इस प्रयोग के माध्यम से मात्र एक रात्रि में ही वो समाप्त हो जाती है। तथा जीवन से समस्त बाधा का निवारण हो जाता है।
विधि : प्रयोग किसी भी अमावस्या या कृष्णा पक्ष की अष्टमी की रात्रि ११ बजे के बाद किया जा सकता है।आपके आसन वस्त्र काले हो यदि ये संभव न हो तो लाल आसन वस्त्र का प्रयोग भी किया जा सकता है।दक्षिण मुख होकर बैठ जाये,अपने सामने बाजोट पर एक काला वस्त्र बिछाये और उस पर एक स्टील की थाली रख दीजिये।उसमे काजल से लिखिए
हूं अघोरेश्वराय हूं
अब इस पर काले तील के ढेरी बना दीजिये और उस पर एक मिटटी का दीपक स्थापित करे दीपक में तील के तेल डालकर प्रज्वलित कर दीजिये।अब उसका सामान्य पूजन कीजिये और भगवान् अघोरेश्वर से सभी तंत्र बाधा के निवारण के लिये प्रार्थना करे,अब दीपक की लो पर ध्यान रखते हुए निम्न मंत्र का जाप करे,जाप रुद्राक्ष माला से करे तथा २१ माला जप करना अनिवार्य है।जप के बाद एक नीबू को काटकर दीपक के अन्दर निचोड़ दीजिये।और स्नान कर लीजिये।अगले दिन सुबह उसी काले कपडे में वो दीपक,काले तील,निम्बू का छिलका और माला बंधकर किसी निर्जन स्थान में रख आये,या जल में विसर्जित कर दीजिये पीछे मुड़कर न देखे।इस तरह ये एक दिवसीय प्रयोग आपके जीवन से तंत्र बाधा को समाप्त कर देगा।
मंत्र :
||हूं हूं अघोरेश्वराय तंत्र बाधा नाशय नाशय हूं हूं फट||
||HOOM HOOM AGHORESHWARAAY TANTRA BAADHA NAASHAY NAASHAY HOOM HOOM PHAT||
जय माँ

Tuesday 21 May 2013

देह वज्रेश्वरी साधना


देह वज्रेश्वरी साधना



हम कई बार अच्छा आहार लेते है,अच्छा भोजन करते है जिससे की हमारा शरीर स्वस्थ्य रहता है।परन्तु कई ऐसे लोग है जिन्हें अच्छे आहार लेने के बाद भी शरीर कमज़ोर ही लगता है।शरीर में बल की कमी रहती है,वे स्वयं को बहुत कमज़ोर महसूस करते है।प्रस्तुत साधना साधक की शारीरिक तथा मानसिक दुर्बलता को दूर कर देती है।चाहे वो दुर्बलता कैसी भी क्यों न हो।पुरुष में पूर्ण पौरुष का जागरण हो जाता है।तथा वे स्वयं के अन्दर एक उर्जा का अनुभव करने लगते है।स्त्री को इससे सौंदर्य की प्राप्ति होती है।तथा एक विशेष लाभ ये है की जो बार बार बीमार होते है,उनकी ये समस्या का हल हो जाता है।और एक साधक के अन्दर साधनात्मक बल के साथ साथ शारीरिक बल होना अति आवश्यक है। अतः माँ वज्रेश्वरी की शरण में जाये,और प्राप्त करे वज्र की तरह देह तथा मन।

विधि: साधना किसी भी शुभ दिन शुरू की जा सकती है. नवरात्री,होली,पुष्य नक्षत्र आदि कभी भी की जा सकती है। या ये संभव न हो तो किसी भी पूर्णिमा,या शुक्रवार की रात्रि से आरम्भ करे।समय रात्रि १० के बाद का होगा,आसन वस्त्र लाल,दिशा उत्तर या पूर्व।सामने बजोट पर एक लाल वस्त्र बिछाये और माँ दुर्गा का कोई भी मूर्ति या चित्र स्थापित करे.गुरु पूजन करे,गणेश पूजन करे,माँ का सामान्य पूजन करे,घी का दीपक जलाये,भोग में गुड अर्पण करे. जो की नित्य आपको खाना है.अब संकल्प ले की में शारीरिक तथा मानसिक बल प्राप्त करने के लिये ये साधना कर रहा हु.अब अपने पास थोड़े सीके हुए चने रखे और मंत्र जाप आरम्भ करे,जाप मूंगा या रुद्राक्ष माला से करे.हर माला के बाद कम से कम ११ चने माँ के चरणों में रखे आप चाहे तो चरणों के पास कोई पात्र रख सकते है चने विग्रह से स्पर्श करके उसमे भी रखे जा सकते है.पर याद रखे कम से कम ११ चने हो इससे ज्यादा जितने चड़ा सके चड़ाए।जब २१ माला पूर्ण हो जाये तो चने संभल कर रख ले.नित्य यही क्रम रखे,साधना ११ दिन करे. साधना के बाद जितना भी चने एकत्रित हो उनमे से नित्य ५ चने सुबह उठकर ही खाले, खाने से पहले २१ बार मूल मंत्र का पाठ अवश्य करे.आप स्वयं अनुभव करने लगेंगे साधना का लाभ।

मंत्र: 
||ॐ वं वं वं वज्रेश्वरी मम वज्र देह,देहि देहि वं वज्रेश्वरी फट||
माँ सबका कल्याण करे जय माँ

Sunday 19 May 2013

महाकाली वीर साधना


महाकाली वीर साधना


वीर साधना सदा से साधको के मध्य प्रचलित रही है।वीर कई प्रकार के होते है।उनमे से ही एक है महाकाली वीर।इस वीर की उत्पत्ति महाकाली से ही होती है तथा ये उन्ही में विलीन हो जाता है।ये कई कार्य संपन्न कर सकता है जैसे साधक को सुरक्षा प्रदान करना,कई प्रकार की जानकारी लाकर देना,कई गोपनीय साधनाओ के विषय में बताना आदि सभी कार्य कर सकता है जो साधक आदेश देता है।वास्तव में इस वीर की अपनी कोई शक्ति नहीं होती है।ये महाकाली से शक्ति प्राप्त करता है,अतः इससे कभी कोई अनेतिक कार्य नहीं करवाया जा सकता है अन्यथा ये साधक को छोड़कर पुनः महाकाली में समां जाता है,और दुबारा कभी सिद्ध नहीं होता है।साधना जितनी रोचक है उतनी ही उग्र भी है अतः निडर व्यक्ति ही इसे करे।तथा गुरु आज्ञा से ही साधना की जाये।साधना में यदि कोई हानि होती है तो उसके लिये हम जिमीदार नहीं है,अतः स्वयं के विवेक का प्रयोग करे.

विधि : साधना शमशान,निर्जन स्थान,या नदी तट पर करे अगर ये संभव न हो तो किसी ऐसे कक्ष में करे जहा कोई साधना पूर्ण होने तक न आये।आपके आसन वस्त्र काले हो तथा दिशा दक्षिण हो।।सामने एक नीला वस्त्र बिछाये,उस पर महाकाली का कोई भी चित्र स्थापित करे,गुरु तथा गणेश पूजन संपन्न करे,तथा सुरक्षा घेरा खीच ले।अब महाकाली का सामान्य पूजन करे,सरसों के तेल का दीपक लगाये।लोबान की अगरबत्ती जलाये,भोग में गुलाबजामुन रखे,ये नित्य साधना स्थल पर ही छोड़ कर आ जाना है,यदि आप घर में कर रहे है तो नित्य गाय को खिला दे,उत्तम रहेगा यदि आप नित्य भोग भैरव मंदिर में रख आये।माँ से प्रार्थना करे की वे अपने वीर को भेजे।और रुद्राक्ष माला या काली हकिक माला से पहले निम्न मंत्र की ११ माला संपन्न करे .

मंत्र : 
||जंत्र काली मंत्र काली तंत्र काली||

अब निचे दिए गए मंत्र को लगातार माँ के चित्र की और देखते हुए एक घंटे तक जाप करे बिना किसी माला के।

मंत्र : 
||वीर वीर महाकाली को वीर,आवो टूटे मेरो धीर,महाकाली की दुहाई दू,तुझको काली मिठाई दू,मेरो हुकुम पूरण करो,जो यहाँ न आओ तो महाकाली को खडग पड़े,तू चटक कुआँ में गिर मरे ,आदेश आदिनाथ को आदेश आदेश आदेश||

साधना ४१ दिन करे,वीर माँ के चित्र से ही प्रत्यक्ष होता है।जब सामने आये तो डरे नहीं भोग की मिठाई उसे दे दे,और वचन ले ले की में जब तुम्हे बुलाऊंगा तब आना और मेरे कार्य पूर्ण करना।स्मरण रहे कोई गलत कार्य न करवाना अन्यथा सिद्धि समाप्त,और पुनः कभी सिद्ध होगी भी नहीं अतः सावधान रहे।कभी कभी वीर साधना पूर्ण होने के पहले ही आ जाता है,तब भी उससे बोले नहीं जाप करते रहे।यदि जाप के बाद भी वो वही रहे और आपसे बात करे तो मिठाई देकर वचन ले ले।और साधना को वही समाप्त कर दे।माँ आपका कल्याण करे
जय माँ

Saturday 18 May 2013


महा रति काया कल्प प्रयोग




वर्तमान समय में वायु मंडल दूषित होता जा रहा है।और हमारा खान पान भी इतना शुद्ध नहीं है,इसी कारन देह की कांति समाप्त सी हो जाती है ।कई लोगो को चेहरे पर दाग धब्बे हो जाते है तो किसी को चर्म रोग घेर लेता है।किसी के बाल लगातार गिरते जा रहे है,तो कोई अधिक पतला या मोटा है।प्रस्तुत साधना साधक के अन्दर एक ऐसी उर्जा का निर्माण करती है जिससे की उसका काया कल्प होता है।देह कांति युक्त हो जाती है,दाग आदि दूर हो जाते है,शरीर सुन्दर एवं सुडोल बन जाता है। परिश्रम के साथ ही यदि हमें मंत्रो की शक्ति का सहयोग मिल जाये तो परिश्रम में सफलता शीघ्रता से मिलती है।प्रस्तुत है इसी विषय पर एक तीव्र साधना .
साधना किसी भी शुक्रवार से आरम्भ करे समय शाम सूर्यास्त से रात्रि ३ बजे के मध्य का हो।आसन तथा वस्त्र लाल या पीले हो,आपका मुख उत्तर की और हो।सामने बाजोट पर पिला वस्त्र बिछाये और उस पर शिवलिंग स्थापित करे,पारद शिवलिंग का हो तो उत्तम है अन्यथा जो भी शिवलिंग हो उसे स्थापित करे।अब शिवलिंग के सामने एक रुद्राक्ष स्थापित करे।शिव का सामान्य पूजन करे,और देवी रति का रुद्राक्ष पर सामान्य पूजन करे।तील के तेल का दीपक लगाये।भोग में कोई भी मिठाई अर्पण करे।अब अपने सामने एक पात्र में थोड़ी सी हल्दी रख ले,और मूल मंत्र पड़ते जाये ये आपको लगातार १ घंटे तक करना है,और साथ ही रुद्राक्ष पर थोड़ी थोड़ी हल्दी अर्पण करते जाना है।साधना के बाद मिठाई स्वयं खा ले।ये क्रिया नित्य ३ दिनों तक करे,अंतिम दिन साधना के बाद घी में लोबान मिलाकर १०८ आहुति प्रदान करे।अगले दिन रुद्राक्ष को मंत्र पड़ते हुए गुलाब जल से स्नान करवाए और लाल धागे में डालकर गले में धारण कर ले।फिर नित्य थोड़े से जल पर मंत्र को २१ बार या उससे अधिक पड़कर अभी मंत्रित कर ले।और जल पि जाये,नहाने के जल को भी इससे अभीमंत्रित किया जा सकता है।निसंदेह आपकी देह कुछ ही दिनों में अद्भूत तेज से भर जाएगी।आवश्यकता है साधना को पूर्ण विश्वास से करने की।
***मंत्र***
॥ॐ रति रति महारती कामदेव की दुहाई संसार की सुंदरी भुवन मोहिनी अनंग प्रिया मेरे शरीर में आवे,अंग अंग सुधारे,जो न सुधारे तो कामदेव पर वज्र पड़े॥

जय माँ


Wednesday 8 May 2013

भुवनेश्वरी दरिद्रता नाशक साधना


भुवनेश्वरी दरिद्रता नाशक साधना
( ग्रहण काल का अचूक प्रयोग )




नाम से ही स्पष्ट है की ये साधना कितनी महत्वपूर्ण है,जिस पर माँ भुवनेश्वरी की कृपा हो जाये,वो कभी दरिद्र नहीं रह सकता,क्युकी माँ कभी अपनी संतान को दुखी नहीं देख सकती है।अतः ज्यादा न लिखते हुए विधान दे रहा हु।
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ग्रहण काल में स्नान कर सफ़ेद वस्त्र धारण करे,और उत्तर की और मुख कर सफ़ेद आसन पर बैठ जाये।सामने ज़मीन पर सफ़ेद वस्त्र बिछाये और उस पर,अक्षत से बीज मंत्र " ह्रीं " लिखे और उस पर एक कोई भी रुद्राक्ष स्थापित करे,गुरु तथा गणेश पूजन संपन्न करे,अब रुद्राक्ष का सामान्य पूजन करे,तथा निम्न मंत्र को २१ बार पड़े और अक्षत अर्पण करते जाये,अक्षत भी २१ बार अर्पण करने होंगे।
मंत्र :
||ॐ ह्रीं भुवनेश्वरी इहागच्छ इहतिष्ठ इहस्थापय मम सकल दरिद्रय नाशय नाशय ह्रीं ॐ||
अब पुनः रुद्राक्ष का सामान्य पूजन कर मिठाई का भोग लगाये,तील के तेल का दीपक लगाये।और बिना किसी माला के निम्न मंत्र का लगातार २ घंटे तक जाप करे,जाप करते वक़्त लगातार अक्षत रुद्राक्ष पर अर्पण करते रहे।साधना के बाद भोग स्वयं खा ले,और रुद्राक्ष को स्नान कराकर लाल धागे में पिरो ले और गले में धारण कर ले।और सारे अक्षत उसी वस्त्र में बांध कर कुछ दक्षिणा के साथ देवी मंदिर में रख आये और दरिद्रता नाश की प्रार्थना कर ले।
मंत्र :
||हूं हूं ह्रीं ह्रीं दारिद्रय नाशिनी भुवनेश्वरी ह्रीं ह्रीं हूं हूं फट||
यह साधना अद्भूत है,अतः स्वयं कर अनुभव प्राप्त करे।
सभी बीजाक्षरों मे मकार का उच्चारन होग।
जय माँ

Sunday 5 May 2013

दिव्य महाकाली आकर्षण प्रयोग

दिव्य महाकाली आकर्षण प्रयोग
( आकर्षण का अचूक विधान )




हमें कई बार साधना में असफलता मिलती है,और उसका कारण बताया जाता है उर्जा की कमी।और ये बात सही भी है की उर्जा की कमी के बिना साधना में सफलता मिलना असंभव है।परन्तु उर्जा के साथ ही एक चीज़ और है जिस पर हमारा ध्यान ही नहीं जाता है।वो है आकर्षण।
क्या आपकी पूरी देह आकर्षण से युक्त है ?
क्या आपमें वो क्षमता है जिससे की देवता आप पर आकर्षित होकर आप पर अपनी कृपा बरसा दे ?
शायद नहीं 

यही आकर्षण है जिसकी हमें अति आवश्यकता है।क्युकी जहा हमारी उर्जा इष्ट से हमारा संपर्क स्थापित कराती है तो वही दूसरी और आकर्षण इष्ट को हमारी और आकर्षित करता है।जो की अत्यंत आवश्यक है।प्रस्तुत साधाना इसी विषय में है,जिससे आप पूर्ण आकर्षण युक्त हो जायेंगे।और इस आकर्षण का प्रभाव आप अपने जीवन में स्वयं देख्नेगे,क्युकी ये साधना जहा आपको साधना में सफलता के निकट ले जाती है,वही आधुनिक जीवन में भी आपको आकर्षण युक्त कर आपको प्रगति प्रदान करती है।
साधना किसी भी कृष्ण पक्ष की अष्टमी से आरम्भ करे,आपके आसन वस्त्र लाल हो।मूंगा या रुद्राक्ष माला से जाप करे।दिशा उत्तर होगी।अपने सामने ज़मीन पर गोबर से लिप दे।और उस पर कुमकुम के द्वारा मैथुन चक्र का निर्माण करे,जहा बिंदी बनायीं गयी है उस बिंदी पर कुमकुम मिश्रित अक्षत की एक ढेरी बनाये।उस पर तील के तेल का दीपक लगाये,और उसका महाकाली मानकर पूजन करे।तथा आकर्षण शक्ति की प्राप्ति हेतु संकल्प ले।और मंत्र की ५१ माला करे,साधना ११ दिनों तक करे।दीपक मिटटी का हो,और साधना के बाद दीपक अक्षत आदि को विसर्जित कर दे।भोग आप किसी भी मिठाई का लगा सकते है .जाप के समय अपनी दृष्टि दीपक पर ही रखे।
अगर आप इसका सवा लाख अनुष्ठान करले तो सोने पर सुहागा हो जायेगा 
मंत्र : ॐ क्रीं क्रीं सर्वाकर्षिणी क्रीं क्रीं फट
OM KREENG KREENG SARVAKARSHINI KREENG KREENG PHAT
माँ सबका कल्याण करे .

Wednesday 1 May 2013

आर्थिक अनुकूलता प्राप्ति भुवनेश्वरी प्रयोग

आर्थिक अनुकूलता प्राप्ति भुवनेश्वरी प्रयोग 





जीवन में कई बार आर्थिक उतार चड़ाव आते ही रहते है।किन्तु कभी कभी ये इतने अधिक हो जाते है की इनसे मुक्ति पाना असंभव सा लगता है।कर्ज का बोझ बढने  लगता है।तथा व्यर्थ के व्यय बढने  लगते है।या कभी कभी लोग हमारे पैसे नहीं लोटाते है,हमारा धन व्यर्थ में इधर उधर अन्य लोगो के हाथो में फस जाता है।इन्ही सब दुखों से मुक्ति दिलवाती है माँ भुवनेश्वरी।तीनो लोको की स्वामिनी को ही हम भुवनेश्वरी कहते है।जिनके लिये कुछ भी असंभव नहीं है।बस कमी हमारे ही विश्वास में आ जाती है और हम उनकी करुणा से वंचित रह जाते है।अगर साधना को पूर्ण समर्पण और विश्वास के साथ किया जाये,तो ऐसा हो ही नहीं सकता की माँ हम पर कृपा न करे।प्रस्तुत विधान को पूर्ण विश्वास से करे आपको सफलता अवश्य मिलेगी।

साधना किसी भी रविवार या पूर्णिमा से आरम्भ करे.समय रात्रि १० के बाद का हो या ब्रह्म मुह्रत में भी किया जा सकता है।पर समय नित्य एक ही हो।
स्नान कर सफ़ेद या लाल वस्त्र धारण करे,वस्त्र के ही रंग का आसन हो,और उसी रंग का कपडा सामने बाजोट पर बिछाये।आपका मुख पूर्व की और हो।

पहले सद्गुरु पूजन तथा गणेश पूजन करे।फिर केशर मिश्रित अक्षत की एक ढेरी बनाये उस पर माँ भुवनेश्वरी का यन्त्र स्थापित करे,अभाव  में सुपारी स्थापित करे।तील के तेल का दीपक प्रज्वलित करे।माँ का सामान्य पूजन करे,दूध से बनी मिठाई का भोग लगाये,जिसे पुरे परिवार को दिया जा सकता है।
हाथ में जल लेकर संकल्प ले।
और रुद्राक्ष माला से मंत्र का ११  माला जाप करे।साधना ११ दिनों तक करे,

आखरी दिन पञ्च मेवे और घी से १०८ आहुति प्रदान करे।यन्त्र को बाद में पूजन स्थल में स्थापित कर दे,माला अन्य शक्ति साधनाओ में काम  में ली जा सकती है।

अच्छा तो यही रहता है की साधक उपरोक्त विधि से सवा लाख मंत्रो का अनुष्ठान कर ले।

इससे पूर्ण सफलता मिलती ही है,और साथ ही दशांश हवन करे।सवा लाख अनुष्ठान जन्म जन्म की दरिद्रता मिटा देता है।परन्तु ये संभव न हो तो उपरोक्त विधान तो किया ही जा सकता है।उससे भी अनुकूलता अवश्य प्राप्त होगी।

मंत्र : 
||ॐ श्रीं ॐ श्रीं ह्रीं ऐं ह्रीं ऐं क्लीं सौ:क्लीं सौ: क्रीं क्रीं ह्रीं भुवनेश्वर्यै नमः||

       OM SHREEM OM SHREEM HREEM AIM HREEM AIM KLEEM SOUH KLEEM SOUH KREEM KREEM HREEM BHUVNESHVARYAYI NAMAH 


जय माँ