Saturday 27 April 2013



श्री दत्तात्रेय पाप नाशन साधना 




हर मनुष्य अपने जीवन में जाने अनजाने कोई न कोई पाप करता ही है।जिसका फल उसे भोगना ही पड़ता है।कई बार इन्ही पाप कर्मो के कारन हमारी साधनाए सफल नहीं हो पाती है।क्युकी साधना का पुण्य फल पापो की निवृति में चला जाता है।और साधक निराश हो साधना को दोष देता है।ऐसा आवश्यक नहीं है की अपने इस जनम में कुछ पाप किया हो।परन्तु पिछले जन्मो के भी पाप कर्म हमारा पीछा नहीं छोड़ते है।प्रस्तुत साधना से न सिर्फ साधक के पापो का नाश होता है बल्कि गुरोंओ के गुरु भगवान दत्त गुरु का आशीर्वाद भी मिल जाता है,जो की साधक का सौभाग्य है। त्रिमूर्ति में तीनो देव समाहित है अतः त्रिदेवो का आशीर्वाद भी सुलभ हो जाता है।तथा साधक साधना मार्ग में निरंतर सफलता प्राप्त करता है।

यह साधना किसी भी गुरुवार को आरम्भ की जा सकती है।समय इसमें बब्रह्म मुहरत रहेगा।स्नान कर पीले वस्त्र धारण करे तथा उत्तर या पूर्व की और मुख कर पीले आसन पर बैठ जाये।अब सामने बजोट पर पिला वस्त्र बीछा दे और उस पर दत्त चित्र या यन्त्र स्थापित करे।अब सद्गुरु पूजन तथा गणेश पूजन करे।साधना में सफलता की प्रार्थना करे।अब दत्त भगवन का सामान्य पूजन करे।भोग में कोई भी फल अर्पण करे।तथा दीपक शुद्ध घी का हो गाय का घी हो तो और उत्तम है।अब हाथ में जल लेकर संकल्प ले की,में ये साधना अपने जन्म जन्मान्तर के पापो का नाश करने के लिये कर रहा हु,सदगुरुदेव तथा भगवन दत्तात्रेय मुझ पर कृपा करे।जल जमीन पर छोड़ दे।अब निम्न 11 माला जाप करे।ये जाप आप रुद्राक्ष,चन्दन,या तुलसी माला से कर सकते है।यह क्रम 7 दिनों तक रखे सातवे दिन जाप समाप्त होने पर इसी मंत्र के द्वारा 108 आहुति पञ्च मेवे और घी की दे।मंत्र में आखिर में स्वाहा लगाकर आहुति दे।भोग नित्य स्वयं खाए भूमि शयन करे।ब्रह्मचर्य का पालन करे।लसन प्याज वर्जित है अतः सात्विक भोजन करे।साधना समाप्त होने पर माला किसी दत्त मंदिर अथवा शिव मंदिर में कुछ दक्षिणा के साथ चड़ा दे।निसंदेह इस साधना के माध्यम से साधक के जीवन के सभी पापो का नाश होता है,तथा वो प्रगति प्राप्त करता है।फिर नित्य 21 बार मंत्र जाप कर लिया करे।

मंत्र : अत्रिपुत्रो महातेजा दत्तात्रेयो महामुनिही तस्य स्मरण मात्रेण सर्वपापेह प्रमुच्यते 

गुरुवर दत्तात्रेय अप सभी का कल्याण करे।अवधूत चिंतन श्री गुरुदेव दत्त।

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