Monday 29 April 2013

स्वागतम्

jai sadgurudev



Aap sabhi bhai behno ka apke apne blog par,hriday se swagat karta hu ashaa karta hu apka prem sada hame milta rahega,kyuki apka yahi prem hame nit naya karne ki prerna deta hai.maa se prarthana karta hu ki hamara ye prem sada yuhi bana rahe aur ham sabhi,ek dusre se ahankar ka tyag kar kuch na kuch sikhte rahe.sath hi  mere priya bhai santosh kumar gupta ji ka hriday se aabhar vyakt karta hu kyuki unke hi sahyog se ye blog ka nirman hua hai.warna maine to sadhana karne ke siva kuch sikha hi nahi tha,blog kaise banata?aur  ant me unke shri charno me naman karta hu jiki karuna aur kripa ke karan mujh jaisa patthar bhi chamak utha.wo aur koi nahi mere param pujya sadgurudev shri Ramdas ji maharaj hai.jai sadgurudev

jai maa 

Sunday 28 April 2013

निद्रा स्तम्भन प्रयोग-

निद्रा स्तम्भन प्रयोग
( अद्भूत साबर प्रयोग )
अक्सर साधको को साधना के समय नींद आने लगती है।खासकर रात्रि कालीन साधनाओं में ऐसी समस्या होना आम बात है।वैसे तो रात्रि कालीन साधना अगर चल रही हो तो दिन में सो जाना चाहिए।पर कुछ साधनाओं में दिन में सोना तक वर्जित होता है।और यदि साधना में हलकी सी भी नींद लग जाये तो साधना खंडित होने का खतरा उत्पन्न हो जाता है.ऐसी समस्याओं से मुक्ति हेतु प्रस्तुत है एक दिव्य प्रयोग।जिससे साधना में निद्रा से आप मुक्ति पा सकते है।परन्तु पहले इसे सिद्ध करना आवश्यक है।

सिद्ध विधि : किसी भी शुक्रवार की रात्रि को उत्तर की और मुख कर बैठ जाये सामने महाकाली का कोई भी चित्र लाल वस्त्र पर स्थापित करे।आपके आसन वस्त्र भी लाल हो।गणेश पूजन,गुरु पूजन संपन्न करे।महाकाली का सामान्य पूजन करे।लोबान की अगरबत्ती जलाये,दूध से बनी कोई मिठाई का भोग लगाये।शुद्ध घी का दीपक हो। एक नारियल भी माँ के पास रखे।अब रुद्राक्ष माला से मंत्र की माला जाप करे।अगले दिन मिठाई स्वयं खा ले।नारियल देवी मंदिर में अर्पण कर दे।इस प्रकार मात्र एक रात्रि में ये मंत्र सिद्ध हो जाता है। अब जब भी आपको रात्रि में साधना करना हो दोनों नेत्रों पर अपने हाथ रखे और मंत्र को २१ बार पड़कर माँ से प्रार्थना कर ले जब तक आपकी साधान चलेगी आपकी निद्रा का स्तम्भन हो जायेगा।साधना के बाद माँ से प्रार्थना करके आँखों में पानी के छीटे मारे इससे पुनः नींद आने लगेगी।

मंत्र:-
 || भक्ति करन बैठे माई, निद्रा देबी सताए,
हाँक परी महाकाली की निद्रा देबी जाये ||

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तुलसी यक्षिणी प्रयोग

तुलसी यक्षिणी प्रयोग 


प्रस्तुत साधना उन लोगो के लिये वरदान सामान है जो सरकारी नोकरी पाना चाहते है।क्युकी तुलसी यक्षिणी को ही राज्य पद यक्षिणी भी कहा जाता है।अर्थात राज्य पद देने वाली।अतः ये साधना राजनीती में भी सफलता देने वाली है। यदि आपकी पदोन्नति नहीं हो रही है तो,भी यह साधना की जा सकती है।या सरकारी नोकरी की इच्छा रखते है तो भी यह दिव्य साधना अवश्य संपन्न करे।निश्चित आपकी कामना पूर्ण हो जाएगी।

विधि :
साधना किसी भी शुक्रवार की रात्रि से आरम्भ करे,समय रात्रि १० बजे के बाद का हो,आपका मुख उत्तर दिशा की और हो,आपके आसन वस्त्र सफ़ेद हो।प्रातः तुलसी की जड़ निकाल कर ले आये और उसे साफ करके सुरक्षित रख ले,जड़ लाने के पहले निमंत्रण अवश्य दे।अब अपने सामने एक तुलसी का पौधा रखे और उसका सामान्य पूजन करे,दूध से बनी मिठाई का भोग लगाये और तील के तेल का दीपक लगाये।तुलसी की जड़ को अपने आसन के निचे रखे।अब स्फटिक माला से मंत्र की १०१ माला संपन्न करे।यह क्रम तीन दिन तक रखे,आखरी दिन घी में पञ्च मेवा मिलाकर यथा संभव आहुति दे।बाद में उस जड़ को सफ़ेद कपडे में लपेट कर अपनी बाजु पर बांध ले।मिठाई नित्य स्वयं ही खाए।इस तरह ये दिव्य साधना संपन्न होती है।अगर आप ये साधना ग्रहण काल में करते है तो मात्र एक ही दिन में पूर्ण हो जाएगी।अन्यथा उपरोक्त विधि से तो अवश्य कर ही ले।कभी कभी इस साधना में प्रत्यक्षीकरण होते देखा गया है।अगर ऐसा हो तो घबराये नहीं देवी से वर मांग ले।प्रत्यक्षीकरण भी हो तो भी साधना अपना पूर्ण फल देती ही है,आवश्यकता है पूर्ण श्रधा की।
माँ सबका कल्याण करे।

मंत्र :-
|| क्लीं क्लीं नमः ||
(OM KLEEM KLEEM NAMAH)

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धूमावती आपद उद्धारक प्रयोग ( समस्त विपदाओं से मुक्ति हेतु)


धूमावती आपद उद्धारक प्रयोग ( समस्त विपदाओं से मुक्ति हेतु)







जीवन में यदि बार बार रूकावटे आ रही हो,या समस्याए लगातार आपका पीछा कर रही हो,तो यह प्रयोग ब्रह्मास्त्र सामान है।माँ धूमावती इस पर्योग के करने वाले पर अपनी कृपा अवश्य करती है.हर प्रकार की बाधा आर्थिक,देहिक,मानसिक,या साधनात्मक हर प्रकार की बाधाओं का निवारण होता है इस दिव्य प्रयोग से।यह प्रयोग तीव्र रूप से फल प्रदान करता है।

विधि: साधना किसी भी रविवार से आरम्भ करे।समय रात्रि १० के बाद का हो.दिशा दक्षिण हो।आपके आसन वस्त्र सफ़ेद हो।साधना ८ दिन की है।सामने बाजोट पर एक सफ़ेद वस्त्र बिछा दे। एक पान के पत्ते पर भस्म से एक त्रिशूल की आकृति बनाये और उसे स्थापित करे।गुरु पूजन करे गणेश पूजन करे।अब उस त्रिशूल का माँ धूमावती मानकर पूजन करे।इस साधना में यन्त्र या चित्र की कोई आवश्यकता नहीं है।सामान्य पूजन में केवल भस्म चड़ाए,एवं सफ़ेद पुष्प अर्पण करे,थोड़े से काले तील भी अर्पण करे।तील के तेल का दीपक लगाये दीपक मिटटी का होना चाहिए।भोग में आप पेठे का भोग लगाये ये संभव न हो तो कोई भी सफ़ेद मिठाई का भोग लगाये।नित्य सुबह ये भोग किसी गाय को दे देना है आपको नहीं खाना है।पान का पत्ता नित्य नया लेना है और पहले वाले पत्ते को किसी मिटटी के पात्र में नित्य डाल देना है।पूजन के बाद माँ से अपनी विपदाओं के निवारण के लिये प्रार्थना करे।तथा तुलसी की माला से जाप करे जिस क्रम से मंत्र लिखे जा रहे है उसी क्रम से जाप करे।

धूं धूं धूमावती ठः ठः ( एक माला करे )

ॐ धूं धूं धूमावती आपद उद्धारणाय कुरु कुरु स्वाहा ( २१ माला करे )

पुनः उपरोक्त मंत्र की एक माला करे।

ये क्रम नित्य रहे। आखरी दिन अग्नि जलाकर कम से कम १०८ आहुति कलि मिर्च से प्रदान करे।इस तरह ये साधना संपन्न होती है।अगले दिन जिस मिटटी की मटकी में आप पान का पत्ता डालते थे उसी में सारी सामग्री डाल दे.सफ़ेद कपडा,पान,माला मिटटी का दीपक सब उसी में डाल दे और एक नए सफ़ेद कपडे से मटकी का मुह बांध दे।और उस मटकी घर से ले जाते वक़्त माँ से प्रार्थना करे।है माँ आप जाते जाते आप मेरे जीवन से सारी विपदाओं,सरे आर्थिक कष्टों,सारी दरिद्रता,को साथ लेकर चली जाओ।तथा मुझे आशीर्वाद देकर जाओ की में जीवन के हर क्षेत्र में प्रगति प्राप्त करू।और मटकी को शमशान में रख आये।ये संभव न हो तो किसी निर्जन स्थान में रख आये।या किसी पीपल के पेड़ के निचे रख आये।या जल में विसर्जन कर आये।पीछे मुड़कर न देखे घर आकर स्नान अवश्य करे।याद रखे एक बार मटकी को बांधने के बाद पुनः खोले नहीं अन्यथा सारी विपदा पुनः आपके जीवन में आ जाएँगी।माँ आप सबका कल्याण करे। जय धूमावती जय रौद्रा।

तंत्र बाधा निवारक माँ तारा साधना


तंत्र बाधा निवारक माँ तारा साधना 







इस साधना के करने से आप पर किये गए सभी तांत्रिक कर्म नष्ट हो जायेंगे।यदि किसी ने कोई प्रेत भूत पिशाच या कृत्या आपको तंग करने के लिये छोड़ रखे है तो वो भी इससे स्वतः नष्ट हो जायेंगे।और आप किसी भी प्रकार की तंत्र बाधा से सदा सदा के लिये मुक्त हो जायेंगे।अगर आप पर कोई प्रयोग न भी किया गया हो,तब भी इस साधना को अवश्य करे।क्युकी ये साधना मात्र तंत्र बाधा का ही निवारण नहीं करती है,अपितु साधक को सुरक्षा प्रदान कर उसमे उर्जा का निर्माण कर देती है जिससे की आप शक्ति तथा देवी साधनाओ में सफलता प्राप्त करते है।शत्रु स्वतः ही निस्तेज हो जाते है।तथा साधक की समस्त बाधाओं का निवारण होने लगता है।तो देर कैसी माँ तारा की साधना करे और स्वयं आशीर्वाद प्राप्त कर ले माँ तारा से।क्युकी तारा तारिणी है उनकी कृपा जिस पर हो जाये वो समस्त बन्धनों से मुक्त हो तर जाता है।

विधि: साधना किसी भी गुरुवार या रविवार की रात्रि से आरम्भ करे,समय रात्रि ११ के बाद का हो,ये ३ दिवसीय प्रयोग है।सामने बजोट पर लाल वस्त्र बिछा कर उस पर अक्षत की एक ढेरी बनाये उस पर एक तील के तेल का दीपक रखे और उसे प्रज्वलित कर दे।अब गुरु तथा गणेश पूजन करे।फिर दीपक को माँ तारा मानकर उसका सामान्य पूजन करे,इस साधना में यन्त्र या चित्र की कोई जरुरत नहीं है।भोग में कोई भी मिठाई अर्पण करे और एक नारियल लाल कपडे में लपेट कर माँ को अर्पण करे अर्थात दीपक के ही पास में रख दे।अब संकल्प ले और निम्न मंत्र की ११ माला रुद्राक्ष माला से संपन्न करे।मिठाई नित्य किसी गाय को खिलाये स्वयं नहीं खाना है।इस तरह नित्य साधना करे तीसरे दिन,जाप के बाद हवन कुंड में १०८ आहुति घी से प्रदान करे।इस तरह ये साधना पूर्ण होती है।अगले दिन दीपक,अक्षत,नारियल,वस्त्र को कही प्रवाहित कर दे या देवी मंदिर में रख दे।माला को धोकर रख ले और उसी माला से एक माला गुरुमंत्र कर ले तो वो माला किसी और साधना में भी कम ली जा सकती है.माँ सबका कल्याण करे।

मंत्र :ॐ हूं ह्रीं हूं क्लीं सौं हूं फट 

OM HOOM HREEM HOOM KLEEM SOUM HOOM PHAT

धनदा रति प्रिया यक्षिणी साधना


धनदा रति प्रिया यक्षिणी साधना




नाम से ही समझ में आता है की ये यक्षिणी साधक की सारी आर्थिक तंगी को दूर कर उसे आर्थिक रूप से मजबूत बनाती है.अगर ये प्रसन्न हो जाये तो साधक कुबेर की भाती जीवन जीता है.

विधि:
साधना किसी भी शुभ दिन से शुरू करे या शुक्रवार से,शिवरात्रि में अच्छा मुहरत है.समय रात्रि दस के बाद का हो. आसन वस्त्र पीले या लाल हो. दिशा-उत्तर ,अपने सामने बजोट पर उसी रंग का वस्त्र बिछाये जो आपने पहना है.एक ताम्र पात्र में बीज मंत्र " हूं " लिखे कुमकुम से और उसके ऊपर एक तील के तेल से भरा हुआ दीपक रखे।अब यथा संभव गुरु पूजन तथा गणेश पूजन करे,कोई भी शिवलिंग स्थापित करे वो न हो तो चित्र रख ले.कोई भी मिठाई या गुड अर्पण करे.दीपक का पूजन करे।तथा संकल्प ले की
“में ये प्रयोग अपनी आर्थिक कष्ट मिटाने हेतु कर रहा हु,धनदा रति प्रिया यक्षिणी मुझ पर प्रस्सन हो कर मुझे आर्थिक लाभ प्रदान करे”.
इसके बाद स्फटिक माला,रुद्राक्ष माला या मूंगा माला से,ॐ नमः शिवाय की एक माला करे और यक्षिणी मंत्र की कम से कम ११ माला जाप करे और उसके बाद पुनः एक माला ॐ नमः शिवाय की करे।
इस तरह ये एक दिवस का प्रयोग आपको जीवन में कई लाभ प्रदान करेगा
।साधक चाहे तो अधिक जाप भी कर सकता है.प्रसाद स्वयं खा ले.नित्य एक माला जाप करते रहे तो जीवन में आने वाले आर्थिक परिवर्तन को आप स्वयं देख लेना।जाप दीपक की और देखते हुए करे और दीपक का भी सामान्य पूजन करे,यक्षिणी का स्वरुप मानकर।यदि इसी साधना को लगातार ४० दिन किया जाये तो प्रत्यक्षीकरण हो जाता है.उसमे प्रतिदिन आप २१  माला करे.यदि आप उपरोक्त विधान नहीं कर रहे है तो मात्र गुरु चित्र की और देखते हुए ही जाप कर ले तो अनुकूलता मिलने लगती है. इस साधना की यही खास बात है की इसमें ज्यादा ताम झाम नहीं है. मेरे एक प्रिय भाई के कहने पर ये साधना पोस्ट कर रहा हु. क्युकी उन्हें ज्यादा ताम झाम पसंद नहीं आता है.
माँ आपको सफलता प्रदान करे.जय माँ। :-)

मंत्र:
ॐ हूं ह्रीं ह्रीं ह्रीं धनदा रति प्रिया यक्षिणी इहागच्छ मम दारिद्रय नाशय नाशय सकल ऐश्वर्य देहि देहि हूं फट स्वाहा। 

अनंग माला साधना


देवी अनंग माला साधना

शिव में ही तो हु परम शक्ति भद्र काली ,जो तुम्हारे ह्रदय में अनंग माला रूप से निवास करती हु. मेरा यही स्वरुप तुम्हे आकर्षण प्रदान करता है।इस आकर्षण के आगे संसार का सारा आकर्षण व्यर्थ है,आकर्षण की सारी साधनाए व्यर्थ है. संसार का परम आकर्षण में हु। में ही हु वो अनंग माला जो कामदेव को भी आकर्षित कर लेती है. ये मेरा ही आकर्षण है जिसके फल स्वरूप,संसार की हर अप्सरा,यक्षिणी,डाकिनी,शाकिनी,तथा सामान्य स्त्री शिव पर मोहित होती है.यदि में नहीं तो संसार में आकर्षण नहि. शिव तू कह तो सही संसार की ऐसी कोनसी वस्तु है जो तुझसे दूर है।में क्षण भर में उसका आकर्षण तेरे ऊपर कर दूंगी

ये है भगवती अनंग माला जो की महाकाली का ही एक स्वरूप है.तन्त्र में आकर्षण की इससे श्रेष्ट साधना कोई और नहीं है.और न ही होगि. जो शिव को भी आकर्षण प्रदान करने वाली है,जरा सोचे वो अपने भक्त के लिये क्या कुछ नहीं कर सकती है



अनंग माला साधना मंत्र :


॥ॐ ऐं आं ह्रीं हूं क्रों क्षों क्रीं क्रौं फ्रें अनंगमाले स्त्रीयमाकर्षय त्रुट त्रुट छेदय छेदय हूं हूं फट फट स्वाहा॥

विधि: साधना किसी भी शुभ दिन से शुरू कर सकते है. आसन वस्त्र लाल,दिशा उत्तर होगि. समय रात्रि दस के बाद का हो.सामने बजोट पर लाल वस्त्र बिछा कर उसपर शक्ति रुद्राक्ष स्थापित करे. गुरु पूजन तथा गणेश पूजन करे. अब रुद्राक्ष पूजन करे सामान्य,कोई भी मिठाई का भोग अर्पण करे।तील के तेल का दीपक लगाये।और रुद्राक्ष माला से मंत्र की ५ माला जाप करे. साधना दस दिनों तक करे आखरी दिन यथा संभव हवन करे,घी में पञ्च मेवा मिलाकर। इस तरह देवी अनंग माला की ये लघु साधना पूर्ण होती है जो साधक में पूर्ण आकर्षण भर देती है.

जिससे संसार की हर स्त्री साधक की और आकर्षित होती है,यहाँ तक की जब आप यक्षिणी या अप्सरा की साधना करे तब एक माला मंत्र की करके शक्ति रुद्राक्ष को अपने बाजु पर बांध ले लाल धागे से।तो ये मंत्र अप्सरा तथा यक्षिणी का भी आकर्षण करता है.साधना के बाद पुनः रुद्राक्ष को स्नान कराके सुरक्षित रख ले.यदि पत्नी रात दिन कलह करती है तो उसके नाम से संकल्प लेकर मात्र एक माला करे और भगवती काली को एक नारियल अर्पण कर दे. पत्नी आपकी और आकर्षित होकर आपके अनुकूल हो जयेगि. निसंदेह ये साधना अद्भूत है अतः आप सभी इससे लाभ ले.

जय माँ .

कामदेव आकर्षण प्रयोग

कामदेव आकर्षण प्रयोग



विधि :

साधना किसी भी शुक्रवार रात्रि 10 के बाद आरम्भ करे।दिशा 
उत्तर,आसन, वस्त्र लाल हो।सामने बजोट पर लाल वस्त्र बिछाये और उस 
पर भोज पत्र या सादे कागज़ पर कुमकुम से " क्लीं "का अंकन करे 
और उसे स्थापित करे।अब यन्त्र के ठीक सामने कुमकुम मिश्रित 
चावल की ढेरी बनाये और उस पर तील के तेल का दीपक जलाकर 
स्थापित कर दे।गुरुपूजन कर गुरु मंत्र का जाप करे,गणेश पूजन करे।
अब दीपक की और देखते हुए मूल मंत्र का मूंगा माला से,51 माला जाप  
करे ये क्रम 5 दिनों तक रखे।साधना समाप्ति के बाद चावल, कपडे आदि 
का विसर्जन कर दे।जिस भोजपत्र पर क्लीं बीज अंकित किया था उसे 
चाँदी के तावीज़ में डालकर संभाल कर रख ले।आखरी दिन कम से 
कम घी से 108 आहुति अवश्य दे।

मंत्र: ॐ क्लीं कामदेवाय सर्वजन आकर्षण कुरु कुरु स्वाहा .

प्रयोग विधि: 

जब भी किसी का आकर्षण करना हो तब तावीज़ गले में धारण करे।और

उसी माला से मंत्र का 51 माला जाप रात्रि काल में करे।प्रयोग के समय 

सर्वजन की जगह उस व्यक्ति का नाम ले जिसका आकर्षण करना हो।

यदि आप यक्षिणी साधना या अप्सरा साधना करने जा रहे है तो,एक 

कागज़ पर उस यक्षिणी या अप्सरा का नाम लिख ले और उसे सामने 

रख कर 3 दिनों तक 51 माला नित्य करे।108 आहुति घी से दे।मंत्र में 

सर्वजन की जगह उस यक्षिणी या अप्सरा का नाम ले।इससे जब भी 

आप यक्षिणी या अप्सरा की साधना करेंगे तो सफलता के अधिक योग 

बन जायेंगे।परन्तु उपरोक्त विधि से पहले इसे सिद्ध कर ले।जब भी आप 

किसी पर यह प्रयोग करे तो उसके बाद तावीज़ को गूगल की धुप अवश्य 

प्रदान करे।जय माँ।