Sunday 28 April 2013



आसेब को जलाने का अमल-




अमल: व इज़ा क़र अनल कुरआन ज अलना बैनकुम व बैयनल्लज़िना ला युसिलुना बिल आखिरती हिजा बन सतुरा व ज अलना अला कुलुबिहीम इकबतन तन यफ़्कुहुहु व फ़ी इज़ा लहुम वकरन वयिज़ा ज़करता रब्बुका फ़िल कुरआन व जद्द्दुहू व लव अला अदबारी हिम नुफुरा।

विधि: ऊपर दिए अमल को किसी भी शुक्रवार की रात को 8 बजे के बाद करना है।आपका मुह पश्चिम की और हो,कपडे सफ़ेद हो बैठने के लिये कोई भी पाक कपडा लिया जा सकता है।सामने कोई मिठाई रखे और लोबान जलाये।अब अमल को लगातार बिना किसी माला के एक घंटे तक पड़े।अगले दिन मिठाई बच्चो में बाट दे या किसी गरीब को दे दीजिये।इस एक दिन के अमल करने के बाद आप इस अमल के अमिल हो जायेंगे मतलब ये आपको सिद्ध हो जायेगा।अब इसके प्रयोग की विधि जाने, जब भी किसी इन्सान को कोई रूह,भूत,परी ,देव या जिन्न पकड़ ले और शरीर नहीं छोड़ता हो।तब इस अमल को 100 बार पड़कर पानी पर दम कर दे।और वो पानी उस इन्सान पर छिटना शुरू कर दे जिसे परेशानी है।तब जो भी उसके अन्दर होगा वो भाग जायेगा।पानी छिटते वक़्त "या अल्लाह या सुलेमान अल मदद " ये पड़ते रहे अगर वो न जाये तो लगातार पानी छिटते जाये इससे वो अन्दर ही जलकर राख हो जायेगा।और हमेशा के लिये उस इन्सान को निजात मिल जाएगी।बाद में यही अमल एक कागज़ में कलि स्याही से लिखकर हरे कपडे में लपेट कर गले में डाल दे और 40 दिन बाद इसे पानी में बहा दे।खुदा के करम से सब ठीक हो जायेगा।उम्मीद करता हु आपको इससे फायदा होगा।अगली पोस्ट में हम जिन्नों पर चर्चा करेंगे।जय माँ

1 comment:

  1. bhai g badi acha amal h kya aap jayda se jayda sulemani amal de sakte h g.....

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