Friday 27 December 2013

पारद काली

आपमें से कई साधको के मेल आए  और उनमे पारद काली से सम्बंधित प्रश्न पूछे गए.आज का लेख पारद काली पर ही है,आशा ही नहीं है पूर्ण विश्वास है कि आपको आपके प्रश्नो के उत्तर इस लेख के माध्यम से अवश्य प्राप्त होंगे।

मित्रो रस तंत्र के अनुसार सारे पारद विग्रह एक और तथा पारद काली एक और मानी गयी है.इसका मुख्य कारण यह है कि ये महाविद्या अपने विग्रह निर्माण के समय ही निर्माणकर्ता कि अत्यंत खरी परीक्षा लेती है.सर्व प्रथम इस विग्रह के निर्माण में जिन संस्कारो कि आवश्यकता होती है वे इतने सामान्य नहीं होते है.पृथक पृथक स्तोत्र तथा मंत्रो का समावेश होता है.साथ ही इस विग्रह निर्माण में ललिता त्रिपुर सुंदरी स्तोत्र कि विशेष महत्वता होती है.इस तरह कई दिनों में पारद काली निर्माण के लिए पारद को तैयार  किया जाता है.अब बारी  आती है विग्रह को उसका मूल स्वरुप देने कि,इस समय एक साधक निरंतर ललिता सहस्त्रनाम का सतत पाठ करता जाता है जब तक विग्रह निर्माण कि प्रक्रिया पूर्ण न हो जाए.मित्रो यही समय होता है जब भगवती कि ऊर्जा पारद में समाहित होने लगती है,और इस समय निर्माणकर्ता कि भी मूल परीक्षा आरम्भ होती है,क्युकी ज्यो ज्यो साधक मंत्र जाप करते हुए इसका निर्माण करते है त्यों त्यों विग्रह बिखरने तथा चटकने लगता है.कभी कभी तो स्थिति ये होती है कि आप विग्रह निर्माण कि प्रक्रिया पूरी कर जैसे ही काली विग्रह पर अघोर मंत्रो से अभीमंत्रित अक्षत कि मुष्टि मारते है वैसे ही विग्रह चटक जाता है.ये समय अत्यंत पीड़ा का होता है क्युकी इसी समय विग्रह के चटकते ही सारी मेहनत पानी में चली जाती है.जब मैंने प्रथम बार निर्माण कि प्रक्रिया कि थी तब ७० से भी अधिक बार विग्रह चटका था.किन्तु मित्रो ये निराशा नहीं धैर्य का समय होता है.क्युकी परा शक्ति कि परीक्षा में आपको उत्तीर्ण तो होना ही  होता है न.

खैर ये समस्या अब नहीं रही अब तो आदि शक्ति कि कृपा है.मित्रो इस विग्रह कि अपनी ही दिव्यता है.परन्तु ये जितना सुन्दर होता है उतने ही रहस्य अपने भीतर समाहित किये हुए होता है.क्युकी इसकी ग्रहण करने कि क्षमता अन्य पारद विग्रहो से अधिक होती है.इसका मुख्य कारण यह  है कि इसमें अघोर तथा सौंदर्य दोनों ही विधि सम्मिलित कर इसका निर्माण किया जाता है.जैसे ही आप इसका स्पर्श करते है ये आपकी नकारात्मक ऊर्जा को खीच लेता है.यही कारण है कि पारद काली को घर में रख पाना अत्यंत दुष्कर कार्य माना  जाता है.क्युकी जितनी बार इसे छुआ जाता है उतनी बार ये पवित्र विग्रह छूने  वाले कि नकारात्मक ऊर्जा को अपने भीतर खीच लेता है.इसलिए कहा जाता है कि इस श्री विग्रह को बार बार हर किसी के हाथो में नहीं देना चाहिए।साथ ही यदि एक,दो महीने के अंतर में यदि इस विग्रह के सामने ११ माला " ॐ हूं क्रीं हूं फट " मंत्र कि कर दी जाए और इसके तुरंत बाद ९ अनार को एक एक करके उपरोक्त मंत्र का उच्चारण करते हुए जमीन पर ज़ोर से पटक कर फोड़ दे.और इसका रस तुरंत विग्रह पर निचोड़ दे,तो विग्रह ने जितनी भी नकारात्मक ऊर्जा को अपने भीतर खीचा होता है,वो उस ऊर्जा का त्याग कर उसे बृह्मांड में विलीन कर देता है.इस क्रिया के साथ ही विग्रह कि शक्ति तथा ऊर्जा में वृद्धि हो जाती है.इसके अतिरिक्त यदि कोई साधक नित्य भगवती को अनार के रस से स्नान कराता है और ११ माला रुद्राक्ष माला से " ॐ क्रीं कलिकायै नमः " कि करता है,और इस क्रिया को सतत ३ माह तक करता है तो भगवती सदा सदा के लिए उस साधक के गृह में स्थिर हो जाती है तथा साधक के लिए वरदा होती है.ऐसे साधक कि लक्ष्मी साधनाए त्वरित रूप से सफल होती है.तथा दरिद्रता का नाश हो  जाता है.कई साधको ने प्रश्न किया कि इस विग्रह पर क्या क्या साधनाए कि जा सकती है.तो मित्रो इस बात कि अधिक गहराई में न जाते हुए इतना ही कहूंगा कि माँ काली तो तंत्र कि जननी है,अब और क्या कहु इसके आगे ? आप स्वयं ही समझ जाए.परन्तु एक  रहस्य से आपको अवश्य अवगत करना चाहता हु कि,यदि आप इस श्री विग्रह पर नित्य " क्रीं " का जाप करते हुए त्राटक करते है तो आपमें षटकर्म को सिद्ध करने कि ऊर्जा स्थापित हो जाती है.किन्तु ये नित्य कुछ  समय तक किया जाना आवश्यक है.जिन साधको के पास ये विग्रह है वे सदा इसे लाल वस्त्र पर स्थापित करके रखे.हर किसी आने जानेवाले को इसका स्पर्श न करने दे.क्युकी ये अत्यंत गोपनीय विषय है.इसका प्रदर्शन करना ठीक नहीं है.
इसके अतिरिक्त प्रातः उठकर विग्रह के दर्शन किया करे.इससे समस्त रोगो का नाश होता है.पारद काली से सम्बंधित अन्य साधनाए तो आपके अपने ब्लॉग पर आती रहेंगी उसकी चिंता न करे.आज तो केवल कुछ लघु प्रयोग तथा पारद काली के महत्व को समझाने का प्रयास किया गया है.हलाकि यहाँ भी इस विग्रह के बारे में बहुत कम ही लिखा गया है.क्युकी पूर्ण ज्ञान लिखा जाये तो एक ग्रन्थ कि रचना कि जा सकती है.

साधको आपके पास ये  पवित्र विग्रह है तो इसके मूल्य को समझे,इसका सम्मान करे.इसके अधिक प्रदर्शन से बचे.तथा इन पर उच्च कोटि क साधनाए करे न कि केवल घर में स्थापित करके रखे.

जगदम्ब प्रणाम 

अन्य प्रश्नो तथा अधिक जानकारी के लिए मेल करे.

pitambara366@gmail.com




2 comments:

  1. JAY MAHAKALI ATAYANT HI MAHATWAPURNA JANKARI PRADAN KI SATAYU BHAI APKO KAISE KRITAGYATA BYAKT KARU MERE PAS KOI SABD HI NAHI HAI MATARANI AAPKO SATAYU KARE YAHI PRARTHANA HAI JAY MAHAKALI

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  2. Parad kali pratima ka ka mulya hai

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