Thursday 2 January 2014

सूर्य सायुज्य कुबेर प्रयोग ( मकर सक्रांति पर )

मकर सक्रांति का समय निकट ही है.ये एक ऐसा दिव्य दिवस होगा जब भगवान सूर्य देव अपने पूर्ण तेज पर होंगे।इसी पवित्र दिवस पर साधना जगत में कई कई साधनाए साधक संपन्न कर जीवन को नयी गति प्रदान करते है.साधको में प्रति वर्ष ये दिव्य साधना करती ही हु.और विगत पाँच वर्षो से मेरी ये साधना कभी नहीं रुकी प्रति वर्ष इस साधना को संपन्न करना में अपना परम कर्त्तव्य समझती हु.

उसका विशेष कारण  ये है कि इस दिव्य साधना से हमें भगवान  आदित्य और भगवान कुबेर का आशीर्वाद सहज ही प्राप्त हो जाता है.भगवान सूर्य के तेज से साधक के सभी पापो तथा रोगो का नाश होता है.जीवन में एक तेजस्विता आती है.गृहस्थ जीवन में सुख शांति का वातावरण निर्मित हो  जाता है. तथा कुबेर देव के आशीर्वाद से धन का व्यर्थ का व्यय समाप्त हो धन स्थिर होने लगता है.धन के आगमन में आ रही सभी बाधाओं का निवारण हो जाता है.साधना के बाद मन में प्रसन्नता स्थापित हो जाती है.

हर साधना धैर्य और विश्वास से किए जाने  पर ही परिणाम देती है.अतः साधना में अति शीघ्रता अच्छी बात नहीं है.ऐसा करके केवल हम अपना समय व्यर्थ ही करते है कोई लाभ नहीं उठा पाते है.अतः इस उच्च कोटि के प्रयोग को आप पूर्ण धैर्य और विश्वास के साथ करे आपको अवश्य लाभ होगा।

ये साधना आप मकर सक्रांति के दिन करे,ये एक दिवसीय प्रयोग है.यदि आप इस दिन न  कर पाए तो आप मुझसे मत पुछना  कि और कब किया जा सकता है क्युकी इसका पूर्ण प्रभाव तो मकर सक्रांति के दिन ही होता है.फिर भी आप न कर पाए  तो किसी भी रविवार को करे.साधक सूर्योदय के समय स्नान कर पीले वस्त्र धारण करे तथा सूर्य दर्शन कर ताम्र पात्र से गुलाब जल मिले हुए जल से  सूर्य को अर्घ्य प्रदान करे.इसके बाद साधक अपने पूजन कक्ष में आकर पूर्व मुख होकर बैठ जाए  सामने बाजोट पर पिला वस्त्र बिछाकर उस पर गेहू कि एक ढेरी बनाये और उस पर केसर से रंजीत एक सुपारी स्थापित करे.और कक्ष में ही उत्तर कि और एक बाजोट पर पिला वस्त्र बिछा कर हल्दी मिश्रित अक्षत कि ढेरी पर एक हल्दी से रंजीत सुपारी स्थापित करे.

पूर्व में रखी गयी सुपारी सूर्य का प्रतिक है,तथा उत्तर में रखी गयी सुपारी कुबेर का प्रतिक है.सर्व प्रथम सद्गुरुदेव तथा गणपति का सामान्य पूजन करे.इसके बाद सूर्य पूजन करे पूजन सामान्य करना है.खीर का प्रसाद अर्पित करना है जिसमे केसर मिश्रित हो.शुद्ध घी का दीपक प्रज्वलित करे.इसी प्रकार उत्तर में स्थापित कुबेर का भी पूजन करे ,तथा संकल्प ले कि में ये सूर्य सायुज्य कुबेर प्रयोग अपने जीवन से समस्त दरिद्रता के नाश हेतु,पाप नाश हेतु,साधना में सफलता हेतु कर रहा हु भगवान सूर्य देव तथा कुबेर देव मेरी साधना को स्वीकार कर मेरी मनोकामना पूर्ण करे.इसके बाद स्फटिक माला से दिए गए क्रम अनुसार जाप करे.

सर्व प्रथम एक माला महामृत्युंजय मंत्र कि करे इसके बाद 

३ माला  ॐ सूं सूर्याय नमः कि करे और प्रत्येक माला के बाद थोड़े अक्षत सूर्य देव को अर्पित करे.

इसके बाद ३ माला ॐ यक्ष राजाय नमः कि करे.प्रत्येक माला के बाद थोड़े अक्षत कुबेर पर अर्पित करे.

अब १  माला  ॐ सूर्याय तेजोरूपाय आदित्याय नमो नमः   माला के  बाद सूर्य को अक्षत अर्पित करे.

अब ३ माला  ॐ धं कुबेराय धं  ॐ कि करे प्रत्येक  माला के बाद अक्षत कुबेर को अर्पित करे.

इस क्रिया के संपन्न होने के बाद अब साधक निम्न मंत्र कि ११  माला संपन्न करे.

ॐ धं कुबेराय आदित्य स्वरूपाय धं नमः 

इसके बाद पुनः एक माला महामृत्युंजय मंत्र कि संपन्न करे.अब अग्नि प्रज्वलित कर जिस मंत्र कि ११ माला कि थी उसकी कम से कम १०८ आहुति दही तथा घी मिश्रित कर प्रदान करे.आप चाहे तो अधिक आहुति भी दी जा सकती है.इस  प्रकार ये दिव्य साधना पूर्ण होती है.जो कि आपके जीवन में तेजस्विता लाती है.सुख और समृद्धि लाती है.शाम को गेहू अक्षत बाजोट पर बिछे वस्त्र किसी भी मंदिर में रख दे.साधना के तुरंत बाद प्रसाद स्वयं ग्रहण करे तथा परिवार के सभी सदस्यों को भी दे.

अब विचार आपको करना है कि आप इस विशेष दिवस पर ये दिव्य साधना संपन्न करते है या नहीं।आप सभी कि साधना सफल हो.

जय सद्गुरुदेव 


sadhika Akanksha 

1 comment:

  1. भैया जी केसर के अलावा किसी और से सुपारी को रंजित किया जा सकता हैं क्या ? या बिना रंजित किये ही प्रयुग में ला सकते हैं ? और हवन की जगह क्या जाप किया जा सकता हैं ?

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