महा रति काया कल्प प्रयोग
वर्तमान समय में वायु मंडल
दूषित होता जा रहा है।और हमारा खान पान भी इतना शुद्ध नहीं है,इसी कारन देह की कांति समाप्त सी हो
जाती है ।कई लोगो को चेहरे पर दाग धब्बे हो जाते है तो किसी को चर्म रोग घेर लेता
है।किसी के बाल लगातार गिरते जा रहे है,तो कोई अधिक पतला या मोटा है।प्रस्तुत साधना साधक के अन्दर एक ऐसी
उर्जा का निर्माण करती है जिससे की उसका काया कल्प होता है।देह कांति युक्त हो
जाती है,दाग आदि दूर हो जाते है,शरीर सुन्दर एवं सुडोल बन जाता है।
परिश्रम के साथ ही यदि हमें मंत्रो की शक्ति का सहयोग मिल जाये तो परिश्रम में
सफलता शीघ्रता से मिलती है।प्रस्तुत है इसी विषय पर एक तीव्र साधना .
साधना किसी भी शुक्रवार से आरम्भ करे समय शाम सूर्यास्त से रात्रि ३ बजे के मध्य का हो।आसन तथा वस्त्र लाल या पीले हो,आपका मुख उत्तर की और हो।सामने बाजोट पर पिला वस्त्र बिछाये और उस पर शिवलिंग स्थापित करे,पारद शिवलिंग का हो तो उत्तम है अन्यथा जो भी शिवलिंग हो उसे स्थापित करे।अब शिवलिंग के सामने एक रुद्राक्ष स्थापित करे।शिव का सामान्य पूजन करे,और देवी रति का रुद्राक्ष पर सामान्य पूजन करे।तील के तेल का दीपक लगाये।भोग में कोई भी मिठाई अर्पण करे।अब अपने सामने एक पात्र में थोड़ी सी हल्दी रख ले,और मूल मंत्र पड़ते जाये ये आपको लगातार १ घंटे तक करना है,और साथ ही रुद्राक्ष पर थोड़ी थोड़ी हल्दी अर्पण करते जाना है।साधना के बाद मिठाई स्वयं खा ले।ये क्रिया नित्य ३ दिनों तक करे,अंतिम दिन साधना के बाद घी में लोबान मिलाकर १०८ आहुति प्रदान करे।अगले दिन रुद्राक्ष को मंत्र पड़ते हुए गुलाब जल से स्नान करवाए और लाल धागे में डालकर गले में धारण कर ले।फिर नित्य थोड़े से जल पर मंत्र को २१ बार या उससे अधिक पड़कर अभी मंत्रित कर ले।और जल पि जाये,नहाने के जल को भी इससे अभीमंत्रित किया जा सकता है।निसंदेह आपकी देह कुछ ही दिनों में अद्भूत तेज से भर जाएगी।आवश्यकता है साधना को पूर्ण विश्वास से करने की।
साधना किसी भी शुक्रवार से आरम्भ करे समय शाम सूर्यास्त से रात्रि ३ बजे के मध्य का हो।आसन तथा वस्त्र लाल या पीले हो,आपका मुख उत्तर की और हो।सामने बाजोट पर पिला वस्त्र बिछाये और उस पर शिवलिंग स्थापित करे,पारद शिवलिंग का हो तो उत्तम है अन्यथा जो भी शिवलिंग हो उसे स्थापित करे।अब शिवलिंग के सामने एक रुद्राक्ष स्थापित करे।शिव का सामान्य पूजन करे,और देवी रति का रुद्राक्ष पर सामान्य पूजन करे।तील के तेल का दीपक लगाये।भोग में कोई भी मिठाई अर्पण करे।अब अपने सामने एक पात्र में थोड़ी सी हल्दी रख ले,और मूल मंत्र पड़ते जाये ये आपको लगातार १ घंटे तक करना है,और साथ ही रुद्राक्ष पर थोड़ी थोड़ी हल्दी अर्पण करते जाना है।साधना के बाद मिठाई स्वयं खा ले।ये क्रिया नित्य ३ दिनों तक करे,अंतिम दिन साधना के बाद घी में लोबान मिलाकर १०८ आहुति प्रदान करे।अगले दिन रुद्राक्ष को मंत्र पड़ते हुए गुलाब जल से स्नान करवाए और लाल धागे में डालकर गले में धारण कर ले।फिर नित्य थोड़े से जल पर मंत्र को २१ बार या उससे अधिक पड़कर अभी मंत्रित कर ले।और जल पि जाये,नहाने के जल को भी इससे अभीमंत्रित किया जा सकता है।निसंदेह आपकी देह कुछ ही दिनों में अद्भूत तेज से भर जाएगी।आवश्यकता है साधना को पूर्ण विश्वास से करने की।
***मंत्र***
॥ॐ रति रति महारती कामदेव की दुहाई संसार की सुंदरी भुवन
मोहिनी अनंग प्रिया मेरे शरीर में आवे,अंग अंग सुधारे,जो
न सुधारे तो कामदेव पर वज्र पड़े॥
जय माँ
ATAYANT MAHATVAPOORN AUR ADBHUT SADHNA HAI,SHATAYU JI,AAPKO ISKE LIYE BAHUT BAHUT DHANYAWAAD.
ReplyDeleteजय् गुरू देव
ReplyDeleteJai shree Krishna
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