भुवनेश्वरी दरिद्रता नाशक साधना
( ग्रहण काल का अचूक प्रयोग )
नाम से ही स्पष्ट है की ये साधना
कितनी महत्वपूर्ण है,जिस पर
माँ भुवनेश्वरी की कृपा हो जाये,वो
कभी दरिद्र नहीं रह सकता,क्युकी
माँ कभी अपनी संतान को दुखी नहीं देख सकती है।अतः ज्यादा न लिखते हुए विधान दे रहा
हु।
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ग्रहण काल में स्नान कर सफ़ेद वस्त्र
धारण करे,और उत्तर की और मुख कर सफ़ेद आसन पर
बैठ जाये।सामने ज़मीन पर सफ़ेद वस्त्र बिछाये और उस पर,अक्षत से बीज मंत्र " ह्रीं
" लिखे और उस पर एक कोई भी रुद्राक्ष स्थापित करे,गुरु तथा गणेश पूजन संपन्न करे,अब रुद्राक्ष का सामान्य पूजन करे,तथा निम्न मंत्र को २१ बार पड़े और
अक्षत अर्पण करते जाये,अक्षत
भी २१ बार अर्पण करने होंगे।
मंत्र
:
||ॐ ह्रीं भुवनेश्वरी इहागच्छ इहतिष्ठ इहस्थापय मम सकल दरिद्रय
नाशय नाशय ह्रीं ॐ||
अब पुनः रुद्राक्ष का सामान्य पूजन
कर मिठाई का भोग लगाये,तील के
तेल का दीपक लगाये।और बिना किसी माला के निम्न मंत्र का लगातार २ घंटे तक जाप करे,जाप करते वक़्त लगातार अक्षत
रुद्राक्ष पर अर्पण करते रहे।साधना के बाद भोग स्वयं खा ले,और रुद्राक्ष को स्नान कराकर लाल
धागे में पिरो ले और गले में धारण कर ले।और सारे अक्षत उसी वस्त्र में बांध कर कुछ
दक्षिणा के साथ देवी मंदिर में रख आये और दरिद्रता नाश की प्रार्थना कर ले।
मंत्र
:
||हूं हूं ह्रीं ह्रीं दारिद्रय नाशिनी
भुवनेश्वरी ह्रीं ह्रीं हूं हूं फट||
यह साधना अद्भूत है,अतः स्वयं कर अनुभव प्राप्त करे।
सभी बीजाक्षरों मे मकार का उच्चारन होग।
जय
माँ
thanks a lot
ReplyDeleteJai Gurudev
ReplyDeleteShatayu Bhai.....will u please Explain what is this MAKAAR pronunciation.
Regards Naveen
क्या ये साधना ग्रहण कल के आलावा किसी और दीन नही कर सकते है
ReplyDeleteगुरुजी , प्रणाम , सभी बीजक्षरो मे मकार का उच्चारण होगा मतलब ? समझ नही आया . विस्तार से बताने की कृपा करे.
ReplyDeleteJai sri Maa Bhubaneswari namah
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