Sunday 30 March 2014

मंगल तारिणी साधना  


ॐ तारे तू तारे तुरे स्वाहा 

जगदम्बा समस्त सृष्टि को तारने वाली है.यही वो आदि शक्ति है जो शिव को भी तृप्त करती है.तो अन्य मनुष्यों कि बात ही क्या कि जाये। जब भक्त दुखो के सागर में फस जाता है,तब यही तारिणी शक्ति भक्त को मार्ग दिखाती है.परन्तु इसके लिए माँ के श्री चरणो में अनंत श्रद्धा परम आवश्यक है.बिना श्रद्धा और समर्पण के तो आप सांसारिक सम्बन्धो को पूर्णता से नहीं निभा सकते है,तो ये तो फिर भगवती से जन्म जन्मान्तर का सम्बन्ध है.इसमें तो श्रद्धा परम आवश्यक है.और इसके साथ ही उतना समर्पण भी आवश्यक है.तंत्र मार्ग में माँ तारा का क्या स्थान है ये तो किसी से छुपा नहीं है.और इसकी व्याख्या करना मूर्खता ही होगी।आज हम जिस साधना पर चर्चा कर रहे है,वो है " मंगल तारिणी साधना "  

प्रस्तुत साधना कौल मार्ग कि शाबर साधना है और यह हिमाचल के साधको के मध्य प्रचलित रही है.इस साधना का विशेष समय नवरात्री ही है.इसके अतिरिक्त यदि आप ये साधना करते है तो आपको २१ दिन करनी होती है.परन्तु नवरात्री के समय ये केवल ९ दिवस में ही पूर्ण हो जाती है.जिसके जीवन में सतत अमंगल हो रहा हो,कोई शुभ कार्य हो ही नहीं रहा हो.तो उन्हें ये साधना अवश्य करना चाहिए।आर्थिक कष्टो से मुक्ति हेतु भी ये साधना रामबाण कि तरह है.जिन साधको को रोग आदि घेरे रहते हो वे भी ये साधना करके पूर्ण लाभ प्राप्त कर सकते है.अगर संक्षेप में कहु तो ये साधना साधक कि समस्त बाधाओं को समाप्त करने में सहायक है.नवरात्री कि प्रथम रात्रि से आप ये साधना आरम्भ करे,समय होगा रात्रि १० के बाद का.स्नान कर लाल वस्त्र धारण करे तथा उत्तर कि और मुख कर लाल आसन  पर बैठ जाये।सामने भूमि पर बाजोट रखकर उस पर लाल वस्त्र बिछा दे.इस पर माँ तारा का कोई भी चित्र स्थापित करे.अगर चित्र न हो तो कुमकुम रंजीत अक्षत कि ढेरी बनाकर उस पर एक सुपारी स्थापित कर दे.जिन लोगो के पास दस महाविद्या सिद्धि गोलक हो वे लोग गोलक को ही स्थापित करे इससे साधना का प्रभाव और बड़ जायेगा।इसके पश्चात् गुरु तथा गणपति का पूजन करे.तथा माँ तारा का पूजन करे.तील के तेल  का दीपक माँ के समक्ष  प्रज्वलित करे तथा कोई भी मिष्ठान्न माँ को अर्पित करे.तथा माँ के समक्ष माँ के चरणो में ही एक श्रीफल स्थापित करे. इसके पश्चात् आप मूल मंत्र पड़ते  जाये और थोडा थोडा कुमकुम उस श्रीफल पर अर्पित करते जाये।ये क्रिया आपको एक घंटे तक करनी है.इस साधना में आपको एक विशेष क्रिया भी करना होगी।एक ताम्र पात्र  कोई भी लोटा या थाली अपने पास रखे और मंत्र पढ़ते  समय उलटे हाथ से नीम की  टहनी अथवा किसी भी वृक्ष कि टहनी से उस पात्र  को धीरे धीरे बजाते रहे.अर्थात आप मंत्र पड़ते जाये और सीधे हाथ से कुमकुम अर्पित करते जाये और उल्टे  हाथ से पात्र पर धीरे धीरे  टहनी मारकर हल्की हल्की ध्वनि भी निकालते  जाये।ये इस साधना का आवश्यक अंग है.एक घंटे तक नित्य आपको ये क्रिया करनी होगी।९ दिन बाद लाल वस्त्र,समस्त कुमकुम और श्री फल कुछ दक्षिणा के साथ देवी मंदिर में रख आये.इस प्रकार ये साधना पूर्ण हो जायेगी।इसमें जो मंत्र जपा जायेगा वो इस प्रकार है.

ॐ तारे तू उद्धारे सकल कष्ट नासै, 
घुंघरू बाजे घंटा बाजे तारा मायी   नाचे,
तारा नाचे मंगल होय भक्त सुखी होय 
कामना पुरण करे जो तारा मायी होय
ॐ स्त्रीं हूं फट 

अन्य विधान के अनुसार इसी मंत्र के द्वारा माँ का नृत्य भी करवाया जाता है.इस विषय पर फिर कभी चर्चा होगी।क्युकी ये विषय थोडा लम्बा है.मंत्र  को थोड़ा  गायन करके पड़े तो उत्तम होगा,और जैसा लिखा गया है वैसा ही पड़े.अपनी और से कोई परिवर्तन ना करे.आप सभी कि साधना सफल हो इसी कामना के साथ 

जय अम्बे 

अधिक जानकारी के लिए मेल करे 

sadhika303@gmail.com

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