Wednesday 12 March 2014

होली और भैरव प्रयोग



होली निकट ही है,ये ऐसा दिवस है जिस दिन तंत्र अपने चरम पर होता है.आपमें  से कई साधको ने इस दिन के लिए विधान माँगा था.अतः होली पर किये जाने  वाला एक प्रयोग यहाँ दिया जा रहा है.इस प्रयोग के माध्यम से साधक अपनी दरिद्रता, रोग शत्रु कष्ट आदि का निवारण कर सकता है.प्रस्तुत प्रयोग भगवान भैरव से सम्बंधित है.अतः इसका प्रभाव भी अचूक है.मित्रो मैंने कई बार कहा है कि जब भी आप कोई साधना करे तो उसे पूर्ण मनोभाव के साथ ही करे अन्यथा ना करे.क्युकी आसन पर बैठकर इष्ट कि जगह संसार का ध्यान करेंगे तो सफलता सौ जन्मो तक प्राप्त नहीं होगी।अतः जब आप होली पर इस दिव्य प्रयोग को करे तो पूर्ण एकाग्रता के साथ ही करे.वैसे तो इस प्रयोग से कार्य सिद्ध हो जाते है.जैसे 

दरिद्रता का नाश हो जाता है 

धन आगमन के मार्ग खुलने लगते है 

शत्रु द्वारा दिए जा रहे कष्टो से मुक्ति मिलती है 

गम्भीर रोग स्वतः शांत हो जाते है 

और जीवन से जुडी हर समस्या का निवारण इस एक दिवसीय साधना से हो जाता है.प्रस्तुत प्रयोग आपको १६ तारीख कि रात्रि १० के बाद आरम्भ करना है.आपके आसन तथा वस्त्र लाल हो.स्नान कर उत्तर दिशा कि और मुख कर बैठ जाये।बाजोट पर लाल वस्त्र बिछा दे तथा उस पर काले तील कि एक ढेरी बना दे.इस पर एक सुपारी सिंदूर से रंजीत करके स्थापित करे.जिनके पास भैरव सिद्धि गोलक हो वे लोग गोलक पर सिंदूर लगाकर स्थापित करे.अब सर्व प्रथम सद्गुरु तथा गणेश पूजन संपन्न करे.इसके बाद सुपारी अथवा गोलक का सामान्य पूजन करे.भोग में तले हुए पापड़,उड़द के ३ बड़े रखे.तील के तेल  का दीपक प्रज्वलित करे.तथा जीवन से सभी बाधाओ कि निवृति हेतु तथा साधना मार्ग में प्रगति हेतु आप ये साधना कर रहे है ऐसा संकल्प ले.अब साधक मंत्र जाप आरम्भ करे.इसमें माला का प्रयोग नहीं होगा।जाप करते समय भैरव के समक्ष एक कटोरा रखे और अपने पास काले तील,काली मिर्च,काले उड़द  तीनो को समान  भाग में मिलाकर किसी  अन्य पात्र में रखे.अब थोड़ी सी सामग्री ले और अपने मस्तक पर स्पर्श कराये स्पर्श करते समय शाबर भैरव मंत्र पड़ते रहे मंत्र पूर्ण होते ही ये सामग्री भैरव के समक्ष रखे कटोरे में डाल दे.इस प्रकार ये क्रिया एक घंटे तक करे.

मंत्र :  हूं हूं हूं भैरो दरिद्रता नासै,रोग नासै,सत्रु  नासै, नासै सगली  पीड़ा,सुख बरसे सफल होय कारज  डाले भैरो रक्षा घेरा,आदेश आदेश आदेश आदि गुरु को  आदेश 

जब मंत्र जाप कि क्रिया संपन्न हो जाये तब भैरव के समक्ष  कटोरे में जो सामग्री एकत्रित हुई है उसे घी में मिला ले और अग्नि में मंत्र पड़ते हुए १०८ आहुति प्रदान करे.सामग्री जरा भी न बचाये अगर आहुति के बाद भी बच जाये तो बाद में सभी सामग्री अग्नि में डालदे।भगवान भैरव से आशीर्वाद प्राप्त करे.और रात्रि में ही बाजोट पर बिछा वस्त्र,सुपारी भोग कि वस्तुए आदि किसी वृक्ष के निचे रख आये पीछे  मुड़कर न देखे घर आकर स्नान करे,हवन कि भस्म आदि भी अगले दिन कही विसर्जित कर दे.इस प्रकार ये प्रयोग संपन्न होता है.साधक को बाद में भी नित्य २१ बार मंत्र का पाठ करना चाहिए इससे प्रयोग कि तीव्रता दिन प्रतिदिन बढ़ती रहती है.तथा प्रयोग से सम्बंधित सभी लाभ साधक को शीघ्रता से प्राप्त होते है.यदि आप  भैरव सिद्धि गोलक का प्रयोग करे तो साधना के तुरंत बाद गोलक को निम्बू और नमक मिश्रित जल में डुबो दे २४ घंटे के लिए.इसके बाद धोकर शिवलिंग से स्पर्श कराकर पुनः सुरक्षित रख ले.आप सभी कि होली मंगलमय हो इसी कामना के साथ 

जय अम्बे 

अन्य जानकारी के लिए मेल करे 

sadhika303@gmail.com  पर 

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3 comments:

  1. होगा।जाप करते समय भैरव के समक्ष एक कटोरा रखे और अपने पास काले तील,काली मिर्च,काले तील तीनो को समान भाग में मिलाकर किसी
    kale til is written 2 times. Please correct this

    in the mantra is it आदेश आदेश आदेश आदि गुरु हो आदेश correct or it should be guru ko adesh

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  2. जय् गुरू देव

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