मित्रो कुछ दिन पहले शिवरात्रि हेतु आप सभी को अघोर मुंडेश्वर साधना दी गयी.जो कि रात्रिको संपन्न कि जाने वाली साधना है.आज आप सभी को शिवरात्रि पर किया जाने वाला भसमेश्वर प्रयोग दिया जा रहा है.मित्रो इस साधना के माध्यम से साधक के सभी पापो का नाश होता है.भगवान भस्मेश्वर कि कृपा साधक पर होती है.इस साधना को में आज इसलिए दे रहा हु,क्युकी ये साधना शिवरात्रि पर दिन में कि जाती है.और ये एक दिवसीय प्रयोग है.और साधना देने के पीछे एक मुख्य कारण ये है कि इनकी साधना से सर्व प्रथम आप स्वयं को ब्रह्म काल में शुद्ध करे,इसके बाद आप रात्रि में अघोर मुंडेश्वर साधना करे.ताकि आदि देव कि कृपा से आपकी साधना शीघ्रता से सफल हो.क्युकी जब तक आतंरिक शुद्धता न हो बाहरी क्रिया व्यर्थ ही रहती है.इस साधना के माध्यम से आपके भीतर एक विशेष ऊर्जा का संचार होता है.और यही ऊर्जा आपको शुद्ध करती है.जाने अनजाने हमसे पाप होते ही है.इस साधना के माध्यम से वो पाप क्षण भर में भस्म हो जाते है.साधक का हृदय शुद्ध हो जाता है तथा वो साधना मार्ग में प्रगति प्राप्त करता है.साधना में हमसे जो त्रुटि आदि होती है वो भी शिव कृपा से क्षमा कर दी जाती है.तथा साधक एक दिव्यता को प्राप्त करता है.जिन साधको कि मानसिकता अस्थिर होती है उनकी अस्थिरता को भस्म करती है ये साधना और बुद्धि को स्थिर कर साधना मार्ग पर बढ़ने कि प्रेरणा प्रदान करती है.शिवरात्रि से ही तंत्र माह आरम्भ हो रहा है.बाद में होलाष्टक और होली है.मित्रो इस समय साधक तीव्र तंत्र साधनाये करते है.उन साधनाओ में सुरक्षा मिलती है भस्मेश्वर कि कृपा से.अधिक लिखने से कोई लाभ नहीं है.आप साधना करे और शिव कृपा प्राप्त करे.साधना आप शिवरात्रि कि प्रातः अर्थात ब्रह्म मुहर्त में करे.स्नान कर श्वेत अथवा पीले वस्त्र धारण करे.आपने जो वस्त्र धारण किये है उसी रंग का आसन भूमि पर बिछाये और पूर्व कि और मुख कर बैठ जाये।जिस रंग के आपने वस्त्र पहने हो उसी रंग का वस्त्र आप सामने बाजोट रखकर उस पर बिछा दे.अब एक अक्षत कि ढेरी बनाये और उस पर आपके पास जो भी शिवलिंग हो उसे स्थापित करे.सर्व प्रथम आप अपने गुरुदेव का पूजन कर गुरु मंत्र का यथा शक्ति जाप करे.फिर गणपति पूजन करे.तत्पश्चात शिवलिंग का सामान्य पूजन करे.शुद्ध घी का दीपक प्रज्वलित करे,तथा भोग में कोई भी मिष्ठान्न अर्पित करे.इसके बाद गाय के कंडे ( उपले ) से बनी भस्म ले.ये भस्म आप एक दिन पहले भी तैयार करके रख सकते है.और इसे थोड़ी अधिक मात्रा में ही तैयार करे.अब भसमेश्वर मंत्र का जाप करते जाये और भस्म शिवलिंग पर अर्पित करते जाये।एक बार मंत्र पड़े और एक चुटकी भस्म अर्पित कर दे.इसी प्रकार ये कार्य आपको कम से कम ७५ मिनट करना होगा इससे अधिक हो जाये तो कोई समस्या नहीं है परन्तु इससे कम न हो.जब ये क्रिया पूर्ण हो जाये तो अग्नि प्रज्वलित कर इसी मंत्र से शुद्ध घी,गूगल,और काले तील मिलाकर १०८ आहुति अग्नि में प्रदान करे.आहुति पूर्ण होने के बाद इस मंत्र को पड़ते हुए एक निम्बू काटे और मंत्र पड़ते हुए ही निम्बू अग्नि में निचोड़ दे.
भस्मेश्वर मंत्र
ॐ ह्रौं हूं सर्वशक्ति प्रदाय भस्मेश्वराय हूं ह्रौं फट
इस प्रकार ये प्रयोग पूर्ण होता है.कुछ देर पश्चात् अथवा शाम को बाजोट पर बिछे वस्त्र में ही अक्षत और भस्म को बांध दे और अपने सर पर से ७ बार वारकर कही निर्जन स्थान में,पीपल वृक्ष के निचे रख दे अथवा जल प्रवाह कर दे.भोग में अर्पित कि गयी मिठाई स्वयं खाये किसी अन्य को न दे.मित्रो साधना करे और लाभ प्राप्त कर अपने जीवन को सद्गति प्रदान करे.
साथ ही एक निवेदन और करना चाहता हु कि पोस्ट से सम्बंधित सभी प्रश्न आप पोस्ट के निचे ही कमेंट बॉक्स में पूछे क्युकी इनबॉक्स में सभी के उत्तर देना थोडा मुश्किल हो जाता है.साथ ही यदि आप पोस्ट पर प्रश्न पूछते है तो उससे सभी को एक साथ उत्तर मिल जाते है.इससे दुसरो का,आपका तथा मेरा समय बच जाता है.अतः निवेदन है कि पोस्ट से सम्बंधित प्रश्न पोस्ट के निचे ही पूछे कमेंट में.आप सभी कि साधना सफल हो इसी कामना के साथ.
जय अम्बे
अन्य जानकारी के लिए मेल करे.
sadhika303@gmail.com
अथवा
pitambara366@gmail.com पर
..............................................................................
shivling ko jal pravahit nahi karnahe hena bhaisab
ReplyDeleteShatayuji please clarify kijiye, Shiviratri ki Subah yani, Thursday, 27th February, 2014 ki subah hain na? Doosri baat aap ne kahan shyam ko jo arpit ki jayi Bhasma aur akshat jal pravah karen aur bhog swayam grahan karle,magar jab thursday ko Shivratri ki upvas kar rahe hai, phir hum Prasad/mithai kaise ka sakte hai?Teesri baat jal pravah thursday sunset ke baad karni hai jab shiv ji ki ratri puja shuru ho jayi ho? kyonki usi din pradosh vrat bhi hai.
ReplyDelete