Tuesday 18 February 2014

शिवरात्रि और अघोर मुंडेश्वर प्रयोग


मित्रो शिवरात्रि निकट ही है,तंत्र के जनक और समस्त संसार के गुरु भगवान शिव कि इस दिन हर कोई साधना करना चाहता है.और कई साधको ने इसकी तैयारी पहले से ही कर रखी होगी।भगवान शिव ही एक ऐसे देवता है जिनकी पूजा मनुष्य ही नहीं अपितु इतर योनियां भी करती है.देवता,मनुष्य तथा दानव भी शिव आराधना नित्य करते है.शिव को कई कई नामो  से पुकारा जाता है.भूतेश्वर,अघोरेश्वर,पिपलेश्वर,  आदि सहस्त्रो नाम है जिनके द्वारा शिव कि स्तुति कि जाती है.इन नामो  में से ही एक नाम है " मुंडेश्वर " , मुंडेश्वर नाम का यदि हम शाब्दिक अर्थ निकाले  तो केवल इतना ही निकलता है कि जो समस्त मुंडो अर्थात मस्तक के ईश्वर है वही मुंडेश्वर है.परन्तु इस नाम में कई सारे  रहस्य  छुपे हुए है.तंत्र मार्ग में तो मुंडेश्वर पूजन का बहुत महत्व है.हमारा मुंड अहंकार का प्रतिक है,शंका कुशंका,तर्क कुतर्क हमारे मुंड के भीतर ही तो उत्पन्न होते है.यही मुंड है जो नित्य नविन सोचता है और यही मुंड है जो हम पर शासन  करता है.और इस पर शासन करते है भगवान मुंडेश्वर। मित्रो इनकी साधना के कई लाभ है.इनके साधक कि बुद्धि से अस्थिरता समाप्त हो जाती है.तथा साधक के विचारो को सही तथा उचित दिशा प्राप्त होती है.सदा अकारण चिंता से ग्रसित रहने वाली बुद्धि को शांति मिलती है मुंडेश्वर कि साधना से.साथ ही साधक को आर्थिक कष्टो एवं शत्रुओं के षड़यंत्र से मुक्ति मिलती है.यदि साधक पर कोई तंत्र प्रयोग किया गया हो तो इस प्रयोग के माध्यम से साधक के ऊपर से वो बाधा  भी समाप्त हो जाती है.रुके हुए कार्यो को गति मिलती है मुंडेश्वर साधना से.मित्रो अघोर मार्ग में प्रभु को अघोर मुंडेश्वर के नाम से जाना जाता है.अघोर वो जो मुक्त हो बंधनो से,मुंडेश्वर मुक्त है हर बंधन से,और इनका साधक भी मुक्त हो जाता है व्यर्थ कि चिंताओं से,शत्रुओं से,दरिद्रता से,अघोर मुंडेश्वर आपको मुक्त होकर जीना सिखाते है साथ ही सिखाते है कि मुक्त रहते हुए भी किस प्रकार आनंद लिया जाये इस संसार का.मित्रो आज हम आपको अघोर मुंडेश्वर कि  साधना दे रहे है.ये साधना अघोर मार्ग कि है तथा इनकी साधना में जो मंत्र प्रयोग किया जायेगा वो अघोर मार्ग का ही शाबर मंत्र होगा।प्रस्तुत साधना आपको शिवरात्रि को रात्रि ११ बजे के बाद आरम्भ करनी होगी।आपके आसन वस्त्र काले हो तो अति उत्तम है अन्यथा श्वेत या लाल वस्त्र भी लिए जा सकते है.स्नान कर दक्षिण कि और मुख कर बैठ जाये।अब गेहू के आटे में थोड़ी सी भस्म मिलाये ये भस्म आप गाय के उपले ( कंडे ) को जलाकर बनाये।और उसे ही आटे में मिलाये ये सम्भव न होतो आप धुप बत्ती से भी भस्म बना सकते है.भस्म और आटे को मिलाकर अब इसे जल तथा अनार के रस से गुथ ले और एक शिवलिंग का निर्माण करे.ये निर्माण आप पहले ही करके रख ले अर्थात दिन में भी किया जा सकता है.या घर कि किसी महिला  से भी निर्मित करवाया जा सकता है.अब आप साधना के समय अपने सामने भूमि पर ही एक काला वस्त्र बिछा दे और वस्त्र के मध्य काले तील कि एक ढेरी बनाकर उस पर इस शिवलिंग को स्थापित कर दे.अब शिवलिंग के चारो और एक एक उड़द कि ढेरी बना दे,अर्थात आपको चार ढेरी बनाना है.अब पानी वाले नारियल कि सारी  जटा निकाल ले और बिना जटा वाले इस नारियल को उड़द कि ढेरी पर स्थापित कर दे.इस प्रकार आपको उड़द कि चारो ढेरी पर एक एक नारियल स्थापित करना होगा।अब शिवलिंग का सामान्य पूजन करे.तील के तेल का दीपक प्रज्वलित करे.भोग में तले हुए पापड़,उड़द के बड़े या बेसन के पकोड़े अर्पित करे,एक पात्र में थोडा दूध और गुड़ मिलाकर भोग रूप में अर्पित करे.इस पूजन के पश्चात् अब " ॐ अघोर मुंडेश्वराय हूं " मंत्र का जाप करते हुए २१ बार प्रत्येक नारियल पर बिंदी लगाये।अर्थात हर नारियल पर मंत्र पड़ते हुए सिन्दूर कि २१ बिंदी लगानी है.इस क्रिया के बाद थोड़े काले तील ले और उपरोक्त मंत्र को पड़ते हुए शिवलिंग पर अर्पित करे इस प्रकार शिवलिंग पर आपको उपरोक्त मंत्र पड़ते हुए १०८ बार तील अर्पित करना होंगे।जब ये क्रिया पूर्ण हो जाये तब शाबर अघोर मुंडेश्वर मंत्र का जाप बिना माला के एक घंटे तक करे.इसमें आपको एक बार मंत्र पड़ना है और थोड़े काले तील मंत्र के अंत में शिवलिंग पर अर्पित करना है.इस प्रकार एक घंटे तक ये जप तथा तील अर्पित करने कि क्रिया करते रहे.जब ये क्रिया पूर्ण हो जाये।तो अग्नि प्रज्वलित करे और शाबर अघोर मुंडेश्वर मंत्र के अंत में स्वाहा लगाकर २१ आहुति घी तथा गूगल को मिलाकर प्रदान करे.जिन लोगो के लिए आहुति सम्भव ना हो वे मंत्र को पुनः २१ बार पड़कर काले तील अर्पित कर दे शिवलिंग पर.परन्तु आहुति दी जाये तो अधिक उत्तम रहता है.आहुति पूर्ण होने के बाद.वस्त्र पर से एक नारियल ले और " हूं हूं अघोर मुण्डेश्वराय हूं हूं फट " मंत्र का उच्चारण करते हुए नारियल फोड़ दे और शिवलिंग के समक्ष अर्पित कर दे,इसी प्रकार चारो नारियल आपको अर्पित करने होंगे।इस प्रकार ये लघु अघोर मुंडेश्वर प्रयोग संपन्न हो जायेगा। अगले दिन स्नान आदि करके समस्त सामग्री उसी वस्त्र में बांधकर किसी निर्जन स्थान पर रख आये या जल प्रवाह कर दे.

अघोर मुंडेश्वर मंत्र 

ॐ ह्रौं ह्रौं ह्रौं अघोर अघोरेश्वर दरिद्रता हरे कारज  सिद्ध करे,धन बरसावे सत्रु मारे ,हा हाकार करे शत्रुन,लगी हो अघोर मुंडेश्वर धुन,सकल कारज सिद्ध करे,मुंडेश्वर किरपा करे धन दे मान दे सुखन कि खान दे इतनी अरज मुंडेश्वर समपूरण भई दुहाई अघोर गौरा कि.

मंत्र जैसा लिखा गया है वैसे ही पड़े अपनी और से कोई परिवर्तन न करे.ये साधना आप शिवरात्रि के बाद भी किसी भी अमावस्या को भी कर सकते है,जिन साधको को " शिव शक्ति महाअघोर कवच " भेजे गए है वे कवच तथा साथ  में भेजे  गए सिद्धि प्रद रुद्राक्ष को एक लाल वस्त्र में बांधकर अपनी दायी भुजा या कलाई पर बांध ले इस कवच कि सहायता से साधक को साधना का पूर्ण फल प्राप्त होगा तथा वो अघोरेश्वर कि विशेष कृपा का पात्र होगा।बाद में कवच तथा रुद्राक्ष को सुरक्षित रख ले.जिनके पास पारद शिवलिंग हो वे लोग पारद शिवलिंग पर ही ये क्रिया संपन्न कर सकते है.जिनके पास कवच ना हो वे ऐसे ही इस साधना को करे.ये छोटा सा प्रयोग आपके जीवन कि कई समस्यायों को दूर कर देगा।साधना के पहले शिव कवच,या दुर्गा कवच का एक पाठ अवश्य कर ले.साधना के मध्य घबराहट,बेचेनी,थकान,चक्कर आना,या पसीना आने जैसी क्रिया हो सकती है तथा सर में भारीपन हो सकता है.परन्तु चिंता ना करते हुए साधना करे क्यूकि ये विकारो के बाहर  आने कि क्रिया है.आप सभी साधना में सफलता प्राप्त करे तथा आप सभी पर आशुतोष भगवान शंकर कि कृपा हो इसी कामना के साथ.

जय अम्बे 

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