अघोर महालक्ष्मी रुद्राक्ष एवं माला
कई बार
हम महालक्ष्मी साधना करते है, लेकिन उसका लाभ हमें नहीं मिलता है।और अगर मिलता भी है तो विलम्ब
से।लेकिन ऐसा क्या किया जाये जिससे की हमें महालक्ष्मी से सम्बंधित साधनाओ में
त्वरित लाभ मिले ?
लाभ न
मिलने के कई कारण हो सकते है।परन्तु एक विशेष कारण है उर्जा की कमी।प्रस्तुत विधान
के द्वारा आप एक ऐसे रुद्राक्ष का निर्माण करेंगे जो महालक्ष्मी की साधनाओं में
आपको सफलता दिलवाएगा।इस रुद्राक्ष को आप जरा भी हल्के में न ले,क्युकी इसके निर्माण के बाद ये अपने
अन्दर प्रचंड उर्जा को समाहित कर लेता है।और महालक्ष्मी की साधनाओ में सफलता के
आसार बढ जाते है।जब भी आप महालक्ष्मी से सम्बंधित साधना करे,रुद्राक्ष को सामने रख ले।बस इतना ही
तो करना है।आप सफलता के ज्यादा निकट पहुच जायेंगे।भविष्य में इस रुद्राक्ष पर की
जाने वाली महालक्ष्मी साधना ब्लॉग पर आएँगी अतः निर्णय आपको लेना है की आप इस
रुद्राक्ष का निर्माण करना चाहते है या नहीं,अतः विधि आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हु।
यह एक
दिवसीय प्रयोग है जो की अमावस्या की रात्रि १२ बजे से किया जाता है।आपका मुख उत्तर
या पूर्व की ओर हो।आपके आसन वस्त्र लाल हो।सामने बाजोट पर लाल वस्त्र बिछा दे,और उस पर हल्दी मिश्रित अक्षत की
ढेरी बना दे।अब एक पञ्च मुखी रुद्राक्ष ले और उसे जल से साफ करके ढेरी पर स्थापित
कर दे। ढेरी की बायीं तरफ काले तील की एक ढेरी बना ले उस पर एक सुपारी स्थापित
करे।अब इस सुपारी का भगवान अघोरेश्वर मानकर पूजन करे।सिंदूर,अक्षत,कोई फल भोग में लगाये,तील के तेल का दीपक लगाये।सारी
क्रिया करते समय,
ॐ हूं
अघोरेश्वारय नमः
का जाप
करते रहे और सामग्री अर्पण करते जाये,इसके बाद भगवान अघोरेश्वर से प्रार्थना करे की वे आपको अघोर
महालक्ष्मी रुद्राक्ष निर्माण में सफलता प्रदान करे।इसके बाद आप रुद्राक्ष का
सामान्य पूजन करे कुमकुम,हल्दी,अक्षत के द्वारा,मिठाई का भोग लगाये और तील के तेल का
दीपक लगाये।अब निम्न मंत्रो का जाप करते हुए सिंदूर की बिंदी रुद्राक्ष पर लगाते
जाये।सिंदूर आपको तील के तेल में घोलना है।
ॐ श्रीं
श्रिये नमः
ॐ श्रीं विष्णु प्रिये नमः
ॐ श्रीं धन वर्षिणी नमः
ॐ श्रीं विष्णु प्रिये नमः
ॐ श्रीं धन वर्षिणी नमः
प्रत्येक
मंत्र को १०८ बार बोलना है और बिंदी लगाते जाना है।
इसके
बाद रुद्राक्ष माला से निम्न मंत्र की २१ माला करना है,और हर माला के बाद सिंदूर की बिंदी
रुद्राक्ष पर लगाना है।ये पूरी क्रिया आपको रात्रि १२ से ३ के मध्य पूर्ण कर लेना
है।विलम्ब हो जाने पर क्रिया निष्फल मानी जाएगी।मंत्र का जाप वाचिक होगा।
मंत्र : हूं
हूं श्रीं श्रीं हूं हूं
HOOM
HOOM SHREEM SHREEM HOOM HOOM
साधना
के बाद रुद्राक्ष को स्नान कराकर सुरक्षित रख ले तथा अन्य सामग्री भोग सहित अगले
दिन कही विसर्जित कर दे अथवा निर्जन स्थान में रख दे।स्मरण रहे की इस साधना में
रुद्राक्ष ही नहीं बल्कि जाप में प्रयोग की गयी माला भी अघोर महालक्ष्मी माला में
परिवर्तित हो जाती है।अतः नविन माला का ही प्रयोग करे।अब जब भी आप कोई महालक्ष्मी
साधना करे रुद्राक्ष का सामान्य पूजन कर उसे बाजोट पर ही रख दे सफलता की संभावना
बढ जायेगी।माला को संभाल कर रख ले।क्युकी भविष्य में इसी माला और रुद्राक्ष पर की
जाने वाली महालक्ष्मी साधनाए ब्लॉग पर दी जाएँगी।जिसमे इनका प्रयोग अनिवार्य होगा।अब आप निर्माण करते
है या नहीं,ये आप पर छोड़ता हु।तब तक के लिये
जय जगदम्बे
BAHUT HI MAHATVAPOORN SADHNA DI HAI BHAI AAPNE.THANKS A LOT FOR THIS SADHNA..
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ReplyDeleteHI THERE, CAN WE WEAR THIS RUDRAKSHA IN NECK AFTER SADHANA? AND IF YES, WHICH COLOR THREAD SHOULD BE USED? THNAKS.
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