Monday 25 November 2013

mahakali khadag prayog

महाकाली खङ्ग  प्रयोग 


वर्त्तमान समय अत्यंत दुविधापूर्ण है.क्युकी आप कलयुग में जी रहे है.और इस कलयुग कि ये विशेषता है कि,आपके पास कुछ हो न हो परन्तु शत्रु अवश्य होते है.क्युकी मनुष्य में धैर्य कि कमी होती जा रही है.जिसके कारण हर छोटी छोटी बातो पर अपने नविन शत्रुओं का निर्माण कर बैठते है.अब शत्रु कैसा भी हो बड़ा अथवा छोटा किन्तु सदा कष्ट का ही  कारण बनता है। और कुछ शत्रु तो इतने षड्यंत्रकारी होते है  कि आपका जीवन अत्यंत कष्टो से भर देते है.निश्चित रूप से हमें दया भाव को महत्व देना चाहिए क्युकी हम  मनुष्य है.किन्तु कभी कभी कुछ शत्रु पशुता कि सीमा को लाँघ जाते है.अतः ऐसे शत्रु जो हमें रात  दिन कष्ट देते है.रात  दिन जिनके कारण हम मृत्यु तुल्य जीवन जीते है.उनके लिए कोई न कोई प्रयोग करना आवश्यक हो जाता है.जगदम्बा महाकाली को शत्रु नाशिनी कहा गया है। माँ अपने खडग से अपने भक्तो के शत्रुओ का नाश करती है तथा उन्हें अभय दान देती है.माँ का रौद्र रूप केवल भक्त के शत्रुओं के लिए ही है,अन्यथा माँ अत्यंत करुणा तथा कृपामयी है.जगदम्बा अपने हाथो में खड्ग धारण करती है,और आवश्यकता पड़ने  पर भक्त के समस्त शत्रुओं पर इसी खडग से तीव्र प्रहार करती है.हमारा आज का प्रयोग इसी विषय पर है.जिसे तंत्र जगत में महाकाली खडग प्रयोग के नाम से जाना जाता है.वास्तव में ऐसे कई प्रयोग तथा साधनाये है जो आज भी साधको के मध्य गोपनीय रूप से सुरक्षित है.आवश्यकता है केवल उन्हें खोजकर जन सामान्य के मध्य लाने कि.
जब शत्रु अत्यन्त कष्ट प्रदान करने लगे,जब उसके कारण आपका जीवन अत्यंत कष्ट में आ जाये,या आपको किसी अन्य जूठे मुक़दमे आदि में फसा दिया गया हो,तब आवश्यकता है कि आप महाकाली खडग प्रयोग संपन्न करे.इस प्रयोग के माध्यम से शत्रु के सारे षड़यंत्र विफल हो जाते है तथा वो साधक से शत्रुता भुला उसके जीवन से दूर चला जाता है.ये प्रयोग सौम्य तथा लघु होकर भी अपने आप में अत्यंत तीव्र है.जो साधक के प्राणो कि रक्षा कर उसे सुरक्षित करता है.
आप प्रयोग किसी भी रविवार,शनिवार,अमावस्या,या कृष्ण पक्ष कि अष्टमी से कर सकते है.समय होगा रात्रि १२ बजे.आपके आसन वस्त्र काले हो तथा आपका मुख दक्षिण कि और हो.एक सफ़ेद कागज़ पर काजल से खडग का निर्माण करे.आपको खडग का चित्र बनाना है.जैसा महाकाली के हाथ में होता है वैसा।इसमें आप अनार कि कलम का प्रयोग करेंगे।अब उस खडग के मध्य उस शत्रु का नाम लिखे जो आपको कष्ट पंहुचा रहा हो.सामने बाजोट पर काला वस्त्र बिछाये और उस पर महाकाली का चित्र स्थापित करे.चित्र के सामने ही काली उड़द कि एक ढ़ेरी बनाकर उस पर ये खडग का चित्र रख दे.यदि शत्रु एक से अधिक हो तो आप सर्व शत्रु भी लिख सकते है खडग में.अब महाकाली का सामान्य पूजन करे साथ ही खडग का भी पूजन करे.माँ को कोई भी मिठाई का भोग अर्पण करे.तील के तैल का दीपक लगाये जो कि साधना समाप्त होने तक जलता रहे.अब शत्रु नाश हेतु तथा उससे मुक्ति हेतु संकल्प ले.अब रुद्राक्ष या काले हकीक कि माला से खडग मंत्र कि २१ माला संपन्न करे.

ॐ क्रीं क्रीं खड्गिनी खड्गधारिणी महाकाली अमुकं नाशय नाशय सर्व शत्रु निस्तेज कुरु कुरु क्रीं क्रीं खड्गिनी फट। 

मंत्र में अमुकं कि जगह  शत्रु का नाम ले एक से अधिक शत्रु होने पर सर्व शत्रु का उच्चारण करे.जाप पूर्ण हो जाने के बाद एक पात्र में अग्नि जलाये,और घी तथा काली मिर्च के द्वारा १०८ आहुति प्रदान करे अंत में एक निम्बू हाथ में लेकर मंत्र का उच्चारण करे और काटकर हवन में अर्पण कर दे.आहुति के समय मंत्र के अंत में स्वाहा लगाये।अगले दिन सुबह बाजोट पर बिछे वस्त्र में खड्ग  का चित्र तथा उड़द बांध दे और शमशान में बहार से फेक आये. इस प्रकार ये दिव्य प्रयोग संपन्न होता है.किन्तु प्रयोग को केवल द्वेष भाव में आकर न करे जब तक अत्यंत आवश्यकता न आन पड़े आप इसका प्रयोग न करे.

जय माँ 

3 comments:

  1. dhanyavaad aise gopaniya sadhana dene ke liye

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  2. mai batuk bhairav ki sadhana kar raha hoon.. bahut hi accha sadhana hai.. baaki sadhanao mai bahut effort lagani padti hai.. par batuk ji ki sadhana karne mai bahut anand mehsusu hota hai.. kya aap batuk bhairav ya koi bhi gopaniya durlabh pratyakshikaran bheirav sadhana post kar sakte hai?

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  3. क्या इस में १०८ बार आहुती देते समय भी मंत्र बोलना हे ?

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