Tuesday 26 November 2013

Dhanvantari Mangal Prayog

धन्वन्तरि मंगल प्रयोग 


पहला सुख निरोगी काया,ये हम सभी सदा से सुनते आये है.और सत्य भी है क्युकी यदि देह में कोई रोग उत्पन्न हो जाये तो कष्ट देता ही है.रोग उत्पत्ति के कई कारण हो सकते है.किन्तु एक मुख्य कारण है,रोग प्रतिरोधक क्षमता का कम हो जाना।ये रोग प्रतिरोधक क्षमता है क्या ? 

वास्तव में ये देह का हिस्सा नहीं बल्कि देह कि सकारात्मक ऊर्जा ही तो है जो हमें रोगो से सदा सुरक्षित रखती है.किन्तु इस ऊर्जा में कमी आती है.असयंमित दिनचर्या से,अनुचित खान पान से.किन्तु हम में से कई लोग ऐसे भी है,जिनका खान पान तथा दिनचर्या सयंमित होते हुए भी वे रोग ग्रस्त हो जाते है.इसका क्या कारण है कि सब कुछ ठीक होते हुए भी रोग हमें घेर लेता है ? औषधि लेने के बाद भी रोग जा नहीं रहा है,हर उपचार से थक चुके है किन्तु कोई लाभ नहीं।इसका मुख्य कारण है कि प्रकृति का  सहयोग हमें प्राप्त नहीं हो पा रहा है.निश्चय रूप से ये सत्य है कि हम प्रकृति का सतत अपमान करते आ रहे है.इस कारण रोगो ने हमें घेरना आरम्भ कर दिया है.सभी का कर्त्तव्य है कि प्रकृति कि सेवा तथा रक्षा करे.क्युकी देवता उनसे ही प्रसन्न होते है जो प्रकृति कि रक्षा करते है.तभी तो हिमालय पर आज भी देवता विचरण करने आते है क्युकी प्रकृति ने आज भी वहा  अपनी कृपा बरसा रखी है.भगवान  धन्वन्तरि को देवताओं कि श्रेणी में विशेष स्थान प्राप्त है.रोग को हरना तथा औषधि में ऊर्जा देना इनके ही कार्य के अंतर्गत आता है.आयुर्वेद और संसार कि हर चिकित्सा पद्दत्ति के देवता है भगवान धन्वन्तरि।इनकी कृपा और आज्ञा के बिना औषधि देह पर कार्य नहीं करती है.यदि लाख उपचार के बाद भी आप  रोग मुक्त नहीं हो पा  रहे है तो उसका मुख्य कारण यही है कि,आपको धन्वन्तरि कि कृपा कि आवश्यकता है.कही न कही उनकी कृपा कि ऊर्जा आपको प्राप्त नहीं हो रही है.इसी कारण आप उपचार के बाद भी रोगग्रस्त होते जा रहे है.

तो क्या किया जाये जिससे कि भगवान धन्वन्तरि कि हम पर कृपा हो ?और हम  रोग मुक्त जीवन जी सके.

मित्रो तंत्र ने हर समस्या का हल मानव जाती को दिया है.आवश्यकता है केवल उस और ध्यान देनी कि तथा अपने ऋषि मुनियो  के  इस अनमोल ज्ञान को सहेजने कि.प्रस्तुत प्रयोग साधक के अंदर धन्वन्तरि ऊर्जा को उत्पन्न कर देता है जिसके फल स्वरुप आप जो भी औषधि लेते है वो आप पर पूर्ण रूप से अपना प्रभाव डालती है,तथा आपको रोग मुक्त करती है.आईए जानते है इस दिव्य विधान को जिसके माध्यम से आप रोग मुक्त हो सकते है.

इस प्रयोग  को आप किसी भी रविवार से आरम्भ कर सकते है.समय प्रातः ४ से ९ के मध्य का हो अन्यथा संध्या वेला में भी किया जा सकता है उसका समय होगा ६ से ८ के मध्य।आपके आसन तथा वस्त्र पीले हो.स्नान कर उत्तर कि और मुख कर बैठ जाये।सामने भूमि पर हल्दी से चोकोर लीप दे.और उस पर पिला वस्त्र बिछाये।अब एक ताम्बे का लोटा ले और उसमे कोई भी ५ प्रकार कि औषधियों का चूर्ण भर दे.कलश को पूरा भरना है इस बात का ध्यान रखे.आप जो मुख्य औषधि उसमे भरेंगे उनके नाम इस प्रकार है.

१. अश्वगंधा 

२. शतावरी 

३.आवला 

४. जटामासी 

५. हल्दी 

ये औषधि भरने के बाद पीले वस्त्र पर अक्षत कि एक ढेरी बनाये तथा उस पर ये लोटा स्थापित कर दे.अब लोटे पर एक मिट्टी का दीपक तील का तैल डालकर रख दे.अब लोटे पर हल्दी से ९ बिंदी लगाये।इसके बाद दीपक प्रज्वलित करे.दीपक और कलश का सामान्य पूजन करे.कोई भी पिली मिठाई का भोग अर्पित करे.अब दीपक कि लो पर त्राटक करते हुए मंत्र का २१ माला रुद्राक्ष माला से जाप करे.स्मरण रहे जब  तक जाप चलेंगे दीपक जलता रहे.

                                       मंत्र 

ॐ ऐं ह्रीं ह्रीं ह्रीं धन्वन्तरि सर्व रोग नाशय आरोग्यम देहि देहि ह्रीं ह्रीं ह्रीं ऐं नमः 

Om Aim Hreem Hreem Hreem Dhanvantari Sarv Rog Nashay Aarogyam Dehi Dehi Hreem Hreem Hreem Aim Namah

मंत्र जाप के बाद जाप भगवान  धन्वन्तरि को समर्पित कर दे.और प्रसाद पुरे परिवार में वितरित कर स्वयं ग्रहण कर ले.इसी प्रकार ये साधना ३ दिन करे.तीसरे दिन जाप के बाद,पञ्च औषधि घी में मिलाकर अग्नि में कम से कम १०८ आहुति प्रदान करे. इससे अधिक साधक चाहे तो अधिक आहुति भी दी जा सकती है.इस प्रकार ये ३ दिवसीय " धन्वन्तरि मंगल प्रयोग " पूर्ण होता है.

अगले दिन प्रातः जो पिला वस्त्र बिछाया था उसी में कलश कि औषधि निकला कर रख ले और अक्षत भी.और इनकी पोटली बनाकर  जल में प्रवाहित कर दे या किसी  वृक्ष के निचे रख दे.अब आपके पास खाली  लोटा बचता है इसे संभाल  कर पूजा घर या कही पवित्र स्थान में रखे.

जब घर में कोई रोगी हो इस लोटे में थोडा जल लेकर २१ बार उपरोक्त मंत्र को पड़कर जल को अभिमंत्रित कर ले और रोगी को पिलाये ऐसा दिन में कम से कम २ बार करे.इससे अधिक भी किया जा सकता है.इस जल के प्रभाव से रोगी पर भगवान  धन्वन्तरि कि कृपा होगी।और रोगी जो भी औषधि लेगा उस पर औषधि पूर्ण रूप से अपना प्रभाव दिखाएगी।

अगर सामान्य रूप से भी इसका जल नित्य सेवन किया जाये तो आरोग्यता कि प्राप्ति होती है.प्रयोग देखने और करने में जितना सरल है उससे कई अधिक प्रभावी है.अतः प्रयोग को कर आरोग्यता को घर में निमंत्रण दे.साथ ही धन्यवाद दे साधना मार्ग को कि यहाँ आकर हम अपने जीवन को एक नयी गति देने में समर्थ हुए.


अन्य जानकारी के लिए मेल करे। 

pitambara366@gmail.com    पर 


जय माँ 


2 comments:

  1. Dhanvantri Mantra:
    "Om tat purushaaya vidmahae Amritha kalasa hastaaya dheemahi
    Tanno Dhanvantri prasodayaat"
    Benefits of Dhanvantri Mantra:
    By chanting Dhanantri mantra we can get healed from most of the severe health ailments and lead a peaceful and happy life.
    A perfectly healthy life is the true wealth.
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  2. Har har mahadev
    Mein ayurved kshtra me ek practitioner hu. Aur bhut samay se dhavantri ji sadhana k vishey me khoj padtal kr rha hu, bhut se YouTube par videos b dekhe lkn YouTube par to badd aa rakhi h to kon sahi h kon galt nhi kh skte...to aap k upr ek viswas bhav rakhte hue ye msg kr rha hu kirpya mera is sadhana ki puran vidhi aur iski sabhi barikyo se avgat kraye.
    Yadi mere dvara kisi par ke shabd se apko dukh hua to mafi chahunga dhanyvaad.
    Apke Uttar ka intzar rhega.

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