रसतंत्र की कुछ दुर्लभ साधनाए
मित्रो पारद का तंत्र में क्या स्थान है ,ये सभी जानते है। निसंदेह साधक के जीवन को परिवर्तित कर देने की क्षमता रखता है दिव्य पारद। पारद पर हमने पूर्व में भी कई लेख लिखे है। परन्तु इससे सम्बंधित साधनाए ब्लॉग पर बहुत कम ही लिख पाये है। अतः आज कुछ साधनाए यहाँ दे रहे है। ताकि जिन साधको को हमने पारद की ये दुर्लभ वस्तुए भेजी थी वे इनका पूर्ण लाभ उठा सके। सर्व प्रथम प्रस्तुत है ,
पारद कुबेर साधना
( धन प्राप्ति की अचूक साधना )
कुबेर देव की जिस पर कृपा होती है ,उसे जीवन में कभी धन की कमी नहीं आती है.क्युकी धन बाटने का कार्य कुबेर देव के हाथो में है। सामान्यतः लोग धन हेतु केवल लक्ष्मी साधना करते है ,और करना भी चाहिए।किन्तु लक्ष्मी का स्वभाव चंचल होने के कारण वे आती तो है किन्तु एक स्थान पर टिक नहीं पाती है। किन्तु जब लक्ष्मी के अतिरिक्त हम कुबेर देव की भी साधना करते है ,तो कुबेर देव उस धन को घर में टिकाने का कार्य करते है। इतना ही नहीं कुबेर पूजन से साधक के जीवन से धन की चिंता जाने लगती है। कुछ दिनों पहले हमने संस्कार युक्त पारद कुबेर साधको के लिए निर्मित कर उन्हें भेजे थे.अब तक सभी साधको को वे प्राप्त हो चुके होंगे। अतः ,वे उस पारद कुबेर विग्रह पर यह साधना अवश्य संपन्न करे। ताकि जीवन से अर्थ की चिंता समाप्त हो तथा,सर्वत्र मंगल हो।
यह साधना आप किसी भी गुरुवार से आरम्भ करे। यह साधना आप प्रातः ५ से ९ के मध्य कर सकते है अथवा रात्रि ११ के बाद करे तो अति उत्तम होगा। वैसे में तो यही कहूँगा की आप रात्रि के समय ही यह साधना करे ,क्युकी इस समय इस साधना का प्रभाव तीव्र होता है। ना कर सके तो प्रातः काल में संपन्न करे। स्नान कर पीले वस्त्र धारण करे ,और पीले आसन पर उत्तर की और मुख कर बैठ जाये। सामने बाजोट रखकर उस पर पिला वस्त्र बिछा दे। इसके बाद कुबेर विग्रह को दुग्ध एवं पानी से स्नान करवाकर बाजोट पर स्थापित करे। इसके बाद साधक थोड़ी पिली सरसो ले और कुबेर देव के ठीक सामने सरसो के द्वारा बीज मंत्र " धं " का अंकन करे। बीज मंत्र निर्माण के पश्चात। २१ बार " ॐ नमः शिवाय " का जाप करे ,अगर एक माला कर पाये तो उत्तम होगा अन्यथा २१ बार ही पर्याप्त है.इसके पश्चात कुबेर देव का सामान्य पूजन करे। कुमकुम ,हल्दी ,अक्षत ,अष्टगंध तथा पीले पुष्प अर्पित करे। इसके बाद शुद्ध घृत का दीपक तथा धुप प्रज्वलित करे। नैवेद्य में केसर मिश्रित खीर अर्पित करे। यह खीर साधना के बाद आपको आसन पर बैठकर ही खानी है। नैवेद्य अर्पित करने के बाद। हाथ में थोड़े अक्षत ले और " ॐ वित्तेश्वराय नमः " मंत्र को २१ बार बोलकर अक्षत विग्रह पर अर्पित करे। एक बार मंत्र बोले और अक्षत अर्पित करे। इस प्रकार २१ बार करे.इस क्रिया के पश्चात आपके पास जो भी माला उपलब्ध हो रुद्राक्ष माला,हल्दी माला ,चन्दन माला आदि किसी भी माला से निम्न मंत्र की ११ माला जाप करे।
ॐ ह्रीं धं श्रीं धं ॐ वित्तेश्वराय नमः
Om Hreem Dham Shreem Dham Om Vitteshwraay Namah
मंत्र जाप के पश्चात पुनः " ॐ वित्तेश्वराय नमः " का २१ बार जाप कर विग्रह पर अक्षत अर्पित करे। पुनः कुबेर देव से प्रार्थना करे। तथा जिस सरसो से आपने बीज मंत्र बाजोट पर बनाया था उसे एक कागज़ में बांध कर रख ले। और सोते समय इसे तकिये के निचे रखकर सोये अगले दिन यह सरसो की पुड़िया किसी शिव मंदिर में रख आये.यह साधना आपको ३ दिन करनी है। तथा तीनो दिन सरसो रखकर सोना है तथा शिव मंदिर में रखकर आना है। रस सिद्धो का मानना है की कम से कम साधक को वर्ष में एक बार इस साधना को करना ही चाहिए।और इससे अधिक कर पाये तो और उत्तम होगा। अतः देर किस बात की जिन साधको ने पारद कुबेर मंगवाए थे वे शीघ्र ही इस विग्रह पर साधना करे,ताकि आपको पूर्ण लाभ की प्राप्ति हो।
अब अगली साधना उन लोगो के लिए जिन्हे दिव्याकर्षण गोलक भेजा गया है।
पितृ शांति प्रयोग
दिव्याकर्षण गोलक पर की जाने वाली साधनाए हम पूर्व में भी ब्लॉग पर डाल चुके है। तथा मासिक पत्रिका में भी हमने दिव्याकर्षण गोलक के कुछ प्रयोग दिए थे.परन्तु समयाभाव के कारण आगे लिख नहीं पाये। अतः आज पितृ शांति प्रयोग आपके समक्ष रख रहे है। पितृ रूठ जाये तो कोई कार्य सफलता पूर्वक नहीं हो पाता है। क्युकी पितृ वंश की जड़ माने गए है ,और जड़ कमज़ोर होतो वृक्ष फल फूल नहीं पाता है। इस प्रयोग के माध्यम से साधक को पितृ कृपा प्राप्त होती है। तथा कुपित पितृ शांत हो आशीष प्रदान करते है। साधक इस प्रयोग को किसी भी अमावस्या ,पूर्णिमा अथवा शनिवार को करे। इस क्रिया के लिए उत्तम समय है ,प्रातः ५ से दोपहर १२ के मध्य का। स्नान कर श्वेत वस्त्र अथवा धोती धारण करे। अब दक्षिण की और मुख कर श्वेत अथवा कुषा के आसन पर बैठ जाये। इसके पश्चात सामने एक थाली रखे और उसमे काले तिल और जौ को मिलाकर एक ढेरी बनाये। इस ढेरी पर दिव्याकर्षण गोलक को स्थापित करे। अब हाथ में जल लेकर कहे, में यह पुजन अपने कुल के पित्रो की शांति हेतु कर रहा हु ,है नारायण आप मुझे सफलता प्रदान करे ,तथा मेरे कुल के पित्रो को शांत कर मुझे उनसे आशीर्वाद प्रदान करवाये। जल भूमि पर छोड दे।
इसके पश्चात गोलक पर चन्दन का तिलक लगाये। कुमकुम आदि अर्पित ना करे.केवल चन्दन अर्पित करे एवं श्वेत पुष्प अर्पित करे। इसके पश्चात शुद्ध घृत का दीपक प्रज्वलित करे। तथा कोई भी मिष्ठान्न अर्पित करे। इसके पश्चात निम्न मंत्र को पड़ते जाये और थोड़े थोड़े काले तिल तथा जौ गोलक पर अर्पित करते जाये। इन दोनों को पहले ही मिलाकर रख लेना है। तथा कम से कम सामग्री अर्पित करने की क्रिया ३० मिनट तक करनी है.
ॐ नमो नारायणाय परम पित्राय नमः
Om Namo Narayaanay Param Pitraay Namah
जब ये क्रिया पूर्ण हो जाये तब,प्रभु नारायण से पुनः प्रार्थना करे। तथा दिव्याकर्षण गोलक को नमक मिश्रित जल में डुबो दे। १२ घंटे बाद गोलक को पुनः शुद्ध जल से धोकर सुरक्षित रख ले ,ताकि अन्य साधनाए इस पर की जा सके। या आप इसे पूजन कक्ष में भी स्थापित कर सकते है ,ताकि आकर्षण शक्ति का विकास हो। पात्र में जितने भी जौ एवं अक्षत है उन्हें पीपल वृक्ष के निचे बिखेर दे तथा मिष्ठान्न भी वही रख आये। इस प्रकार यह एक दिवसीय पितृ शांति प्रयोग पूर्ण हो जायेगा। तथा साधक को अनुकूलता का अनुभव स्वयं होगा। जब भी समय मिले इस प्रयोग को करते रहे ताकि परिवार पर पितृ कृपा बनी रहे. दिव्याकर्षण गोलक और पारद कुबेर विग्रह पर अन्य साधनाए भी शीघ्र ही दी जाएँगी। तब तक के लिए
जगदम्ब प्रणाम
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Guru ji ko aadesh guru ji ye shri parad kuber kitne rupaye ka aayega
ReplyDeleteLove problem solution in Mumbai - Black Magic Islam
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